बहुत देर हो गई मुझे और भी काम है
"जल्दी पीलो पीहू नहीं तो मैं पिटाई कर दूंगी"
अरे !!सुबह-सुबह क्या पिटाई कर रही हो बच्चे की
हमारे पास भेज दो सासु मां की आवाज आ गई एक दो काम ज्यादा क्या हो जाते हैं???इन्हें गुस्सा शुरू हो जाता है!!
,"तो भाई तुम पहले ही पीहू का दूध अपने पास रखवा लिया करो , तुम पिला दो बहू नाश्ते में भी तो बिजी हैं",
देखो !!!मम्मी जी फिर सुबह सुबह शुरू हो गई.. अब मम्मी पापा दोनों आपस में गुस्सा हो जाएंगे... ...
तो तुम गुस्सा क्यों कर रही हो???क्या छोटी छोटी सी बात पर गुस्सा हो जाती हो |
" मैं तो कहता हूं डॉक्टर से अपना चेकअप करा लो कहीं बीपी हाई हो ...हां सच में जिसको बीपी हाई होता है उसे ही जल्दी जल्दी गुस्सा आता है, "|
गुस्सा करते हुए रिचा एकदम से चुप हो गई अच्छा तो फिर मुझे क्या करना चाहिए |
अरे!!!लंबे-लंबे सांस लो ताकि गुस्सा छूमंतर हो जाए
अब गुस्सा छोड़ कर मेरी जान सांस लेने लगी.....अरे भैया वैसे ही करते रहोगे या नाश्ता पानी कुछ कराना.....
अरे!!! मै तो भूल ही गई...
जल्दी-जल्दी रसोई में जाती है फटाफट से नाश्ता देकर अतुल का लंच ले जाने के लिए पैक कर दिया |
उधर सास-ससुर को भी चाय देकर आ गई |,"नहा धो लिया है बस अभी थोड़ा पूजा पाठ करना है, उसके बाद सब के लिए नाश्ता बना देगी, "
पता नहीं क्यों गुस्से में लग जाती हूं अपने काम को ही लेट कर लिया ,अभी काम है तो करना तो है और कौन करेगा?????आजकल तो काम वाली बाई भी नहीं आ रही थोड़ी मदद हो जाती थी |
अब तो रिचा को भी लगने लगा कि, "मैं गुस्सा करके कोई पाप कर रही है|, " क्या मैं ऐसी मां नहीं हूं जैसी आजकल देखने को मिलती है बिल्कुल कूल मॉम
तभी पीहू आकर मां के गले लग जाती है|, " अब रिचा पीहू को प्यार कर रही है | और सोचती है कि अब गुस्सा नहीं करेगी... .
और रिचा चुपचाप काम में लगी रहती है आज पूरा दिन उसने गुस्सा भी नहीं किया और किसी से बात भी नहीं की क्योंकि कोई बात करेगी तो फिर गुस्सा आ ही जाएगा.....
शाम को अतुल आया तो रिचा ने चाय नाश्ता बना कर दे दिया हां !!!!बस कोई सारा दिन की बातें नहीं की
अब अतुल बोला, "क्या बात है आज बड़ी शांति है क्यों गुस्सा हो ????अरे !! भई मैं गुस्सा नहीं हूं बस चुप हूं , "
हां तो चुप ही क्यों हो ???
फिर मैं बातें करूंगी तो गुस्सा आ ही जाएगा किसी ना किसी बात पर इसलिए चुपचाप अपना काम कर रही हो लेकिन ,"मुझे तो ऐसा लग रहा है कि तुम गुस्से में हो इसलिए चुप हो, " अतुल बोला
",क्या यार!!!तुम बोलते रहा करो इस तरीके से चुप-चुप अच्छी नहीं लगती, "?????
मैं चुप रहूं तो भी नहीं अच्छी लगती, मैं गुस्सा करूं तो भी नहीं अच्छी लगती ,अब देख लो तुम्हें क्या करना है????क्योंकि मैं बोलूंगी तो गुस्सा तो जरूर करूंगी और फिर गुस्सा जब भी करती हूं किसी गलत बात पर ही करती हूं अगर पीहू को ना डाटू तो दूध पीना छोड़ ही देगी!!!
और आप पर गुस्सा ना करूं तो आप नाश्ता करके नहीं जाओगे जल्दी-जल्दी में ऑफिस के चक्कर में ऐसे ही चले जाओगे "और फिर बाहर का खाकर आपका पेट खराब हो जायेगा | और जिनके साथ हम रहते हैं गुस्सा भी तो उन्हीं पर करते हैं क्या गुस्सा करने के लिए मैं अपने मायके चली जाऊं ?????नहीं बाबा मायके मत जाओ....
अच्छा बाबा तुम गुस्सा करो लेकिन बोलती रहो
तुम्हारे चुप रहने से तो अच्छा है तुम्हारा गुस्सा और गुनगुनाने लगा गुस्सा तेरा वल्ला वल्ला नखरे तेरे उफ्फ उफ उफ्फ...
और दोनों मुस्कुराने लगे
सखियों हम औरतें हैं हमें भी गुस्सा करने का हक है हम भी इंसान हैं नगर बच्चों को गुस्सा नहीं करेंगे तो वह धीरे-धीरे आलसी होते चले जाएंगे, उन्हें काम सिखाने के लिए मेहनत सिखाने के लिए हमें गुस्सा करना चाहिए और पतिदेव पर .....हम्म उन पर तो गुस्सा करने का पूरा हक है ....
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