"चलो भाई जल्दी जल्दी तैयार हो जाना, "
"क्या पहनू?,"
,"कुछ भी पहन लो तुम तो हर चीज में अच्छी लगती हो, "
"ऐसे नहीं ",
"मैं कंफ्यूज हूं आपके ऑफिस की पार्टी है आप बताओ क्या पहन कर जाऊं ???साड़ी पहन लो अरे !!!वाह साड़ी में तो तुम बहुत सुंदर लगोगी साड़ी पहन लो हां बस थोड़ा जल्दी तैयार हो जाना.,"...
"हां जल्दी तो मैं हो जाऊंगी कितने बजे निकलना है?, "
भाई ....तुम तो यह मान कर चलो कि अभी निकलना है तब तैयार होगी तो शाम तक टाइम पर रेडी होगी..
क्या आप भी हमेशा चिढ़ाते रहते हैं ???"इतना टाइम कहां लगाती हूं मैं"
अरे! !!मैं तो मजाक कर रहा था और हां काली वाली साड़ी पहन लेना, "
कहते हुए रमन ऑफिस के लिए निकल गए|
ऑफिस की शादियों में वैसे तो शोभा बोर हो जाती है लेकिन क्या करें? ??मजबूरी है जाना भी होता है कई बार कोई और फैमिली आ जाए तो अपना साथ हो जाता नहीं तो अकेले उसे बहुत कम अच्छा लगता है ,"|
शाम को जब रमन ऑफिस से आए तो शोभा पहले से ही तैयार थी |अरे वाह!!!!आज तो मैडम कयामत ढा रही है क्या बात है????पार्टी में चलने का इरादा है या जाना कैंसिल कर दें ,"
अच्छा जी अब टाइम से तैयार हो गई तो जाना कैंसिल कर दो नहीं नहीं चलो ....
"हां रिया भी निकल गई है वह भी पहुंचती ही होगी, "रिया भी आ रही है, "
,"हां क्यों, "?
नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है आप भी तैयार हो जाइए फिर हम समय से निकलकर पहुंच जाएंगे
,"ठीक है जैसे हमारी मैडम की आज्ञा, "
पार्टी में सभी इंजॉय कर रहे हैं बस शोभा सबको इधर उधर देख रही है |तभी रमन कहते हैं कि ,"चलो रिया से मिलकर आते हैं रिया जॉब करने वाली है और शोभा घर में रहती है कभी कुछ ऐसा कंपटीशन नहीं है लेकिन पता नहीं क्यों शोभा को अंदर से रिया को देखकर जलन सी होती है ,सोचती है काश मैं भी उस की तरह इंग्लिश बोलती होती और ऐसे सबसे हंस हंस कर बात कर पाती है, लेकिन अपने ही स्वभाव के कारण किसी से इतना घुल मिल नहीं पाती "
तो अंदर ही है अंदर रिया से एक ईर्ष्या की भावना पैदा हो गई है | जबकि वह रिया से कभी मिली भी नहीं बस उसके बारे में सुना ही है.....
तभी सबसे हंसते मुस्कुराते रिया उसी के पास आ रही है शोभा ने कनखियों से देख लिया लेकिन ऐसा महसूस करा रही है जैसे उसने रिया को देखा ही नहीं | अब रमन भी उससे हंस-हंसकर बातें कर रहे हैं शोभा को और बुरा लगने लगा है |
तभी रिया शोभा के पास आई और बोली, " हाय शोभा जी सर आपकी बहुत तारीफ करते हैं और रमन को देखने लगी" हमें भी कुछ टिप्स दीजिए कैसे इतना अच्छा खाना बना लेते हो आप जब आप रमन सर के साथ में भेजते हो तो सच में उंगलियां चाटने का मन करता है, "
अब शोभा मुस्कुरा तो रही थी लेकिन अंदर ही अंदर सोच रही थी कि मैं भी कितने बुद्धू हूं
यह तो इतनी अच्छी है और मैं इससे ईर्ष्या कर बैठी यह पाप तो मुझे नहीं करना चाहिए था | तभी रिया बोलती है ,"कि मुझे तो कई बार आपसे जलन होने लगती है रमन हम दोनों के लिए स्नेक्स लेने चले गए अब चोकने की बारी शोभा की थी ,क्यों मुझ में ऐसा क्या खास है? कि आप ऐसा बोल रही है अरे!!आप इतने अच्छे से घर को मैनेज करती है रमन सर से पूछो आप की कितनी तारीफ करते हैं बोलते हैं आप हर मुश्किल का चुटकियों में हल निकाल लेती हैं और आप खूबसूरत भी तो इतनी है ,"
"नहीं रिया इसमें ईर्श्या होने की कोई बात ही नहीं, "
हम औरतों का स्वभाव होता है कि हमें अपने से अलग चीज के प्रति आकर्षण हो जाता है अब देखो मैं भी तुम्हारी तरह कहां इतनी अच्छे से लोगों से हिल मिल पाती हूँ, इतना ऑफिस का और घर का सब काम कर पाती हूँ, तो ईर्ष्या होना कोई बुरी बात नहीं बस हम एक दूसरे से प्रेरणा लेते रहें और एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार हो
आज पार्टी में आकर शोभा और रिया दोनों सहेलियां बन गई अब रमन आए और बोले क्यों रिया क्या हमारी मैडम को ले जाने का इरादा है ???| अब थोड़ी देर हमें भी किसी और से भी मिलाने दो.....
और कह कर हंस पड़े
अब रिया और शोभा के बीच की तो गलतफहमी मिट गई शोभा भी सोच रही है कि हमे किसी के बारे में कोई धारणा नहीं बनाने चाहिए बल्कि उससे मिलकर उस चीज को सीखना चाहिए और अगर हमें किसी से ईर्ष्या होती है तो यह कोई पाप नहीं है
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