नही अब और नही

नारी जीवन के यथार्थ के धरातल पर क्या स्थिति होती है उसी को दर्शाती है कथा

Originally published in hi
Reactions 0
431
Varsha Sharma
Varsha Sharma 09 Sep, 2020 | 1 min read

आज फिर सैलरी कम है हां वो आए थे तो.... कुछ पेसे उन्हे दे दिये | पर ऐसे कैसे चलेगा....

क्या हुआ मम्मी, तलाक़ भी नही हूआ बाप है वो हमारे, "उनका भी तो कुछ हक है हम पर" हां हक है....मैने कब मना किया लेकिन जब उन्हे हक् जताना था तो कहाँ थे ,, लेकिन वेकिन कुछ नही माँग रहे थे तो मै कैसे मना कर दूँ|ओर फिर आपके ही संस्कार है मै मना ही नही कर पाया| ओर आधी सैलरी दे दी अब कुछ दिन तो शांत रहेंगे आपको पता है वो तो साथ आने का बोल रहे थे बड़ी मुश्किल से मना किया|

सोचने लगी बीना ....दो बच्चो के साथ अकेले छोड़कर चले गए थे रमेश |पता नहीं कहाँ से पीने की सनक् सवार हो गई थी |अब क्या चाहते है बिटिया की शादी हो गई, ओर जब आराम से रहने के दिन आएं तो फिर आ गये हंगामा मचाने |तभी बेटे बहु की लडाई की आवाज़ सुनाई पड़ी |बहू कह रही थी अकेले रहने की आदत हो गई है इन्हे अरे पापाजी आ जायेंगे तो फिर हमे भी इतनी फिक्र नही रहेगी| बेटा चुप था |बहू तो पराई थी लेकिन बेटे की चुप्पी मुझे कोई निर्णय लेने के लिए मजबूर कर रही थी| बहू को क्या बताऊँ कि कैसे कैसे दिन काट कर बच्चो को पाला |वो तो यही कहेगी की आप बस अपनी कहानी सुनाते रहते हो | सही भी है उसने जब वो दिन नही देखे तो अब उसकी पीड़ा कैसे समझेगी |

जो मैने आज से 15 साल पहले लिया था निर्णय| जब भाई भाभी के पास आइ थी| बूढ़ी माँ क्या करती | अपने पास बुला तो लिया लेकिन रोज रोज़ की भाई भाभी से होती किच्र  किच् से  मै ओर माँ बच  नही पाते |कुछ दिन तो ठीक लगता हैं बेटी का मायके आना लेकिन हमेशा के लिये आना वो सबको खटकने लगता है|मायके का प्यार भी उससे दूर रहकर ही पता लगता है| ओर फिर ये डर हो कि कहीं जायदाद मे हिस्सा ना देना पड़ जाए | माँ ने अपने नाम जो मकान था वो मेरे नाम कर दिया , ये तो आग मे घी डालने जेसे हो गया | भाभी ने माँ को रखने से इंकार कर दिया | माँ मेरे साथ रहने लगी | मेरी एक जगह नोकरी लग गई  | माँ थी तो मेरे साथ लेकिन आधी अधूरी सी ओर बीमार रहने लगी | थोड़े ही दिनों में हमे अकेला छोड़कर चली गई|

कितना कुछ खोया मैने रमेश के लिये रिश्ते नाते, माँ,भाइ का प्यार ओर वो तिल तिल करके मरना | क्या वो वक़्त आ पाएगा दोबारा? वो रातें जो काटी बच्चो की बीमारी मे, ओर आ गये रमेश आज फिर हक जताने,

क्यूँ औरत को इतना कमजोर समझते हैं.? कि वो अकेले नही रह सकती | अगले दिन मैने बेटे को बुलाया ओर तलाक़ के कागज उसे दिये ओर मकान बहू के नाम कर दिया ओर अपना नाम एक  वृद्ध आस रम मे लिखवा लिया |बेटे ने बहुत मना किया लेकिन अब किसी भी रिश्ते मे बंधे रहने का मन नही था |मै मदद करना चाहती थी ऐसे लोगो की जो अकेले हो .....नही रमेश तुम कभी नहीं जीत पाऊगे तुमने छोड़ दिया वो तो मैने सह लिया अब तुम अपनाना चाहते हो लेकिन वो नही सह पाऊँगी....अब मै तुमसे दूर जा चुकी हूँ नही अब ओर नही....

आप बताये क्या बीना का निर्णय सही था?

0 likes

Published By

Varsha Sharma

varshau8hkd

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.