पति के कैश पर ऐश

हाउसवाइफ को कई बार लोग कमतर मानने लगते हैं उसी का जवाब एक लघु कथा

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 09 Sep, 2020 | 1 min read

बबीता और पूनम दोनों बचपन की सहेलियां हैं बबीता कई बार पूनम को फोन करती रहती है लेकिन हमेशा पूनम बिजी रहती है उसके पास बात करने का भी वक्त नहीं होता| एक दिन पूनम ने मैसेज किया है कि, "इस संडे को मिलते हैं |"संडे तो सबसे ज्यादा बिजी दिन होता है उस दिन यह कैसे फ्री है | बबीता घर में सबको बताती है कि उसे अपनी सहेली से मिलने जाना है थोड़ी ना नुकर के बाद सभी हां कह देते हैं| बहुत दिन हो गए बचपन की सहेलियां दोनों एक कैफे में मिलने का प्रोग्राम बनाते हैं|

बबीता तो चाह रही थी कि पूनम घर आ जाए लेकिन पूनम ने कहा और दोनों बाहर मिलती है|


लेकिन पूनम की बातों से ऐसा लगा जैसे सहेली से ना मिल रही हो बल्कि किसी पैसा कमाने वाली औरत से मिल रही हो |

पूनम बोलती है, "कितनी अच्छी जिंदगी है तुम्हारी ना कोई दौड़ ना भाग आराम से खाओ पियो फिर दिन में सो जाओ हमने तो कमा कर जैसे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है सारा दिन दौड़ भाग खाना भी दौड़ते भागते हुए खाते हैं|

यार तुम हाउसवाइफ की तो मौज है बस पति के  कैश पर ऐश करे जाओ!! , "

उसकी यह बात बबीता को अच्छी नहीं लगी मैं तो बड़ी मुश्किल से टाइम निकाल कर अपने बचपन की सहेली से मिलने आई थी लेकिन सारा मजा किरकिरा हो गया बबीता ने सोचा कि यह तो हाउसवाइफ को बहुत ही मामूली समझने लगी है|

जबकि इसकी मम्मी और भाभी खुद हाउसवाइफ है|

अब बबीता सोचने लगी इसे बताना पड़ेगा नहीं तो यह हमेशा हाउस वाइफ को कमतर आंक ती रहेगी!!


बबीता बोली देखो पूनम तुम पैसे कमा रही हो अपनी जरूरतों के लिए और तुम्हारी तरह हमें खुला खर्च करने की आदत नहीं है हमें सोच समझकर खर्च करना होता है या परिवार से पूछना होता है|

जिसे जो अच्छा लगता है वह वही करता है मुझे हाउसवाइफ बनना बहुत पसंद था तो मैं बन गई तुम्हें क्या लगता है कि क्या मैं जॉब नहीं कर सकती ???कर सकती हूं लेकिन जिस काम को मेरा मन ही नहीं मानता मैं वह कैसे करूं? ?

और पति के कैश पर ऐश कैसे की जाती है??यह तुम बखूबी जानती हो क्योंकि शादी के 2 साल बाद तुम्हारी नौकरी लगी थी तो 2 सालों में और बाकी के सालों को मिलाकर देखो तो तुम्हें पता चलेगा कि एक हाउसवाइफ की जिंदगी कई चुनौतियों से भरी हुई होती है |वह कोई एक मामूली औरत नहीं होती |वह भी कदम कदम पर टारगेट पूरे करती है और सब की इच्छाओं का ध्यान भी रखती है|

पूनम को तो लगा था कि बबीता सुनकर चुप हो जाएगी| लेकिन बबीता भी अपनी सहेली से मिलने आई थी ना कि अपने हाउसवाइफ होने का ताना सुनने के लिए तो उसने वक्त रहते पूनम को चेता दिया|


अब पूनम को भी अपना समय याद आ गया | जब वह घर में थी तो उसे बाहर जाने की इच्छा थी और अब बाहर जाकर काम कर रही है तो उसे घर में रहने वाले लोग ज्यादा अच्छे लग रहे हैं|

पूनम को अब अपनी कही बातों पर शर्मिंदगी महसूस होने लगी लेकिन बोली मेरा मतलब वह नहीं था|

बबीता बोली ,"लेकिन तुम्हारे मन में यह ख्याल आया यही बहुत गलत बात है तुम औरत होकर एक दूसरी औरत को ऐसे करोगी तो आगे समाज से हम क्या उम्मीद करेंगे|, "

बाहर निकल कर काम करना आज के जमाने की जरूरत है लेकिन दूसरे के काम को नीचा नहीं समझना है| अब पूनम भी समझ गई लेकिन दोनों सहेलियों के बीच पहले जैसी बात ना रही|

दोस्तों अगर हम औरत होकर ही दूसरी औरत की मुसीबत नहीं समझेंगे तो हम जमाने के लोगों से क्या उम्मीद कर सकते हैं|

इस कहानी में तो बबीता ने बोल दिया लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं जो बोल भी नहीं पाते हैं|

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