बब्रे !!!!कितनी देर से बेल बज रही है कोई दरवाजे पर जाकर तो देखो??हरीश जी ने कहा| आज संडे का दिन है| देखो कौन आया है| दरवाजा खोलते ही खुश हो गए है |गांव से उनके चाचा के बेटे आए थे |अपनी पूरी फैमिली के साथ बहुत खुश हुए ...अभिवादन के बाद अंदर आकर सब विराजमान हो गए | बहू किचन में थी | वह भी आ गई सब थोड़ी देर बैठे तभी हरीश जी का छोटा बेटा सबके लिए पानी लेकर आ गया| गांव से ,रिश्तेदार आए थे सब हैरत से देखने लगे की बहू बैठी है और , बेटा पानी लेकर आया है| चाय नाश्ता करने के बाद अब खाने का टाइम था तो खाने की तैयारी मे लग गए| छोटे भाई ने देखा की हर एक चीज सब मिलकर तैयारी कर रहे हैं और उनका बेटा टेबल् सजा रहा है बहु और सासू मां ने खाना परोस दिया और सब ने मिलकर खाया |बड़ा स्वादिष्ट खाना लगा |अब सब रेस्ट करने के लिए बैठ गए| बातों बातों में अंताक्षरी शुरू हो गई और सब ने खूब मजे किए| फिर बहू चाय बनाने के लिए जल्दी और देवरानी ,जिठानी बैठ कर बातें करने लगे|
बातों बातों में छोटे भाई ने कहा भाई साहब बुरा ना माने तो एक बात कहूं|, "मैं इसलिए , शहर नहीं आना चाहता य. .देखो आकर औरतों का किचन का काम भी आप सब को करना पड़ता है| यही तो नतीजा है ज्यादा छूट देने का| ,"हरीश जी मुस्कुराए और बोले कि ,"ऐसा नहीं है छोटे... तुम्हें पता है तुम्हारी भाभी की तबीयत पहले कितनी खराब रहती थी| जब शहर में आई आई थी सभी डॉक्टरों को दिखाया लेकिन अकेले काम करने के चक्कर में अपने शरीर का ध्यान नहीं रख पाती थ, और ठीक से खाते भी नहीं,चिड़चिड़ी हो गई थी धीरे-धीरे डिप्रेशन में जाने लगी थी |क्योंकि ना तो हंसकर जी पाती थी | और नहीं खुलकर अपनी बातें कह पाते थे| फिर मैं 1 दिन अपने बॉस के घर गया जो ,मैंने वहां जाकर देखा की पूरी फैमिली एक साथ बैठकर खाना खा रही है हंस रहे हैं बोल रहे हैं मतलब औरतें भी खुश हो और आदमी भी खुश किसी को कोई टेंशन ही नहीं मैं तो किंकर्तव्यविमूढ़ सा हो गया, " तभी बॉस ने मुझे देखा उन्होंने मेरी परेशानी समझी क्योंकि पत्नी की बीमारी से वाकिफ थे| उन्होंने मुझे समझाया कि हरीश जिंदगी एक गाड़ी की तरह है अब बताओ अगर गाड़ी का कोई पहिया खराब हो तो क्या हमें गाड़ी चलाने में मजा आएगा ???
नहीं ना......इसी तरह हम दोनों भी गृहस्थी के दो पहिए के समान है अगर हम दोनों एक साथ ठीक से चलेंगे बराबर काम करेंगे तो हमें छोटी-छोटी समस्याओं से जूझना नहीं पड़ेगा और मजा भी आएगा |तुम बताओ तुम क्या चाहते हो कि ऐसी पत्नी हमेशा बीमार बनी रहे तो |क्या अच्छा लगता है ??अरे भाई हम कमाते हैं वह भी घर में काम करती है और अगर हम उसके थोड़ी सी मदद कर दे तो उसकी खुशी दुगनी हो जाती है| शुरु शुरु में तो मुझे भी बड़ा अजीब लगा लेकिन जब मैंने उसका हाथ बटाना शुरू किया तो डॉक्टर की दवाई से ज्यादा उस में फर्क नजर आने लगा |और फिर तो मैंने अपने बच्चों को यही शिक्षा दी है कि मिलकर काम करो और तुम देखो हमारे बहू भी हमेशा हंसते खिलखिलाते रहती है जिससे इस घर में रौनक बनी रहती है |नहीं तो तुम्हें भी पता है कि सास बहू और ससुराल के किस्सों के एक पोथी भी लिख दे तो कम होगी|......जी भाई साहब मैं समझ रहा हूं गांव हो या शहर औरतें काम करती हो या घर में हो....सभी को एक दूसरे के साथ की जरूरत है और अब बराबर काम करने से सबके बीच प्यार भी बना रहता है| मैं भी कोशिश करूंगा ताकि मेरे घर में भी आपको ऐसा ही माहौल मिले|
दोस्तों हम लोग सोचते हैं कि हमारी और दूसरे की सिचुएशन में फर्क है तभी वह औरतों के साथ काम कर रहे हैं | या फिर जो औरतें बाहर कमाकर ला रही है उनके पति हाथ बढ़ाते हैं | नहीं कंधे से कंधा मिलाकर चलना हो और अपनी जिम्मेदारी बराबर ही समझे सब तो जिंदगी की गाड़ी खूब मजे से पटरी पर दौड़ेगी..
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