तारीफ के दो बोल

पोस्ट प्रेगनेंसी में भी औरतें अवसाद से घर जाती है जरूरत है तो उन्हें प्यार से संभालने की

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 22 Nov, 2020 | 1 min read
#fear # motivational #problam#

यह अलग नखरे हैं...महारानी के चार जनों का काम नहीं होता हमारे जमाने में देखो हम कितना काम करते थे आजकल तो नई-नई नई बीमारी चली है |

संयुक्त परिवार है शोभा घर की बड़ी बहू है ... अभी शादी को 2 साल ही हुए हैं एक छोटी बिटिया है जिसके काम में बहुत व्यस्त हो जाती है और थक भी जाती है तो घर का काम जैसे पहले कर पाती थी वह नहीं कर पाती|

आए दिन घर में छोटी-छोटी बातों को लेकर क्लेश होता रहता है अगर पति से कुछ कहने जाती है तो वह अपने ऑफिस की टेंशन में रहते हैं वह भी नहीं सुनते

पहले तो जब शोभा ध्यान रखती थी तो तारीफ करते नहीं थकते थे|


कभी-कभी जब सासू मां खुश रहती हैं तो दोनों एक दूसरे की बातें बैठकर कर लेती है लेकिन काम को लेकर फिर शुरू हो जाती है|

अपने मायके में भी ज्यादा नहीं बताती क्योंकि पिताजी है नहीं और मां बूढ़ी है , वह भी क्या मदद करेंगे और सुनने के बाद परेशान ही होगी..

उसके साथ के दोस्त भी जो है वह ज्यादातर अकेले परिवार में है तो उन्हें इतनी प्रॉब्लम नहीं है|

उनके पति भी उनके साथ बराबर काम करते हैं और वह भी जॉब करती हैं | लेकिन शोभा ने अभी जब तक बच्ची छोटी है नौकरी ना करने का निर्णय लिया है|

फिर भी जब से बिटिया हुई है पता नहीं शरीर वैसे काम नहीं करता जैसे पहले करता था|

अगर बिटिया के साथ सो गई तो सोती ही रहती है|

आज फोन पर सासुमा बात कर रही थी ननंद से ,"अच्छा हैं बच्चे के साथ सोती रहती है.... क्यों मम्मी पहले तो ऐसा नहीं करती थी भाभी ?अब क्या हुआ? ? ? पता नहीं नए-नए नखरे हैं..... नहीं मम्मी आप ऐसा मत सोचो एक बार डॉक्टर को दिखा दो... अरेें डॉक्टर क्या ध्यान देंगे? ??खाओ पियो और काम करो???

नहीं मां मैंने कई बार देखा है औरते डिलीवरी के बाद डिप्रेशन में चली जाती हैं |

,"मतलब तुझे मैं गलत लग रही हूं क्या तूने और हमने नहीं किया काम तू ये नये नये चोचले अपने पास रख. . . . मां ने कहकर फोन काट दिया बिटिया को लगा मां गुस्सा हो गई तो बिटिया ने भाई से बात करने की सोची

उसने भाई को फोन किया था बोला, "शोभा ठीक है"

, "हां शोभा ठीक है उसे क्या प्रॉब्लम है आराम करती रहती है

नहीं भाई ऐसा नहीं है एक बार उसको डॉक्टर को दिखा ले क्या पता कोई मानसिक अवसाद दो, "अरे !!!मैं खुद रोज-रोज की झिक झिक से तंग आ गया हूं ऐसी जिंदगी भी क्या जिंदगी होती है अब तक तो इतना ध्यान रखती थी हां तो भाई जब तुम्हारा ध्यान रखती थी अब ध्यान रखने की बारी तुम्हारी है ,"|

हां तो ध्यान तो रखता हूं क्या कमी छोड़ रखी है मैंने???एक से एक चीज की सुविधा है और अब तो काम वाली भी लगा दी है |

लेकिन सब सुविधाएं देना ही सब कुछ नहीं होता, तुम्हें उसका दिल खुश रख करने के तरीके आने चाहिए, "

और वही कैसे दिल खुश होगा मुझे नहीं पता मैं तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता हूँ अब कोई दिल खुश करना ही ना चाहे तो मैं क्या कर सकता हूं?????

अच्छा सबसे पहले तो तुम मुझे बताओ कि उसे क्या खाने में क्या पसंद है|

मुझे क्या पता ,"

अरे!!तुम्हारी शादी को 2 साल हो गए तुम्हें यही नहीं पता

यह छोटी-छोटी बातें हैं जो हम औरतों को बहुत अच्छे लगते हैं जरूरी नहीं कि तुम्हारे जीजा जी ने हमारे साथ नहीं किया हमारी पसंद का ख्याल नहीं रखा तो तुम भी ना रखो हम तो तुम्हें यह सलाह देंगे कि जो चीजें हमें अच्छी लगती है वह तुम हमारी भाभी के लिए करो, "जैसे आदमी के दिल का रास्ता खाने  से खुश हो जाता है ऐसी औरत थोड़े थोड़े से ख्याल से ही खुश हो जाती है अगर तुम उसकी पसंद का कोई भी काम करोगे तो वह बहुत खुश हो जाएगी कभी उसकी पसंद की जगह घुमा लाओ ,"

अरे उसे घूमना कहां पसंद है ??तुम्हें तो पता है अकेले बैठना ज्यादा पसंद है , "


हाँ तो सबकी अपनी-अपनी पसंद होती है|

अकेले में कभी पूछो बैठकर साथ में कोई प्रॉब्लम है तो हम अपना देख लेंगे भाई ने भी फोन काट दिया, "

लड़कियां भी एक समय पर पराई ही हो जाती वह चाह कर भी भाभी की मदद नहीं कर पा रही थी|


एक दिन शोभा सीढ़ियां उतरते हुए फिसल गई उसके पैर में फ्रैक्चर आ गया अब उसे डॉक्टर के पास जाना एक तो फ्रैक्चर के दर्द के कारण और कुछ अपने शरीर से परेशान होकर रोते ही जा रही थी|

सही है अभी फिक्र थी कि अब बच्ची के काम कौन करेगा और सासू मां तो उसको बहुत सुनाएंगे पैर के चोट से ज्यादा , उसे इस बात का ख्याल था कि घर में और क्लेश हो जाएगा| डॉक्टर ने दवाई दी तब जाकर शोभा चैन से सो गई ...डॉक्टर ने शोभा के पति को बुलाया और बोला कि इतनी सी उम्र में ऐसी परेशानी प्लास्टर तो लग जाता लेकिन वह तो ठीक ही नहीं होना चाहती ऐसा लग रहा है अंदर से परेशान है |क्या यह शुरू से ही ऐसी है'????

"नहीं नहीं पहले तो पूरा घर का खूब अच्छे से ध्यान रख ती थी,दिल से काम करती थी अब तो चार रोटियां भी बना ले तो बहुत है" नमन बोला


ऐसा कई बार हो जाता है डिलीवरी के बाद कई औरतों में डिप्रेशन के लक्षण दिखाई देते हैं ,इनको एक तो जिम्मेदारी बढ़ जाती है आप इन को मेरे पास लेकर आइए 6 महीने में यह सही हो जाएंगे आपको इनके दिल का ख्याल रखना होगा जैसे अब तक यह आपका ख्याल रख ती थी|

अब नमन को ध्यान आया कि वह काम तो सारा कर लेते थे लेकिन तारीफ के दो बोल बोलने से दोबारा से उसमें काम करने की ताकत आ जाती थी लेकिन आजकल अपने बिजी वक्त में वह तारीफ के दो बोल नहीं बोल पा रहा.....

इस बात को अपने दिल में इतने अंदर तक बैठा लिया जबकि कई दिलों को तो जन्म देने वाली है वह

अभी भी देर नहीं हुई है उसका इलाज भी करवा लूंगा और उसके दिल तक जाने का रास्ता भी बनाऊंगा |

आधी जिम्मेदारी में भी लूंगा आखिर पिता तो मैं भी बना हूँ | अब सोते हुए शोभा को निहार रहा है कितने आराम से सो रही है अब इसकी जिंदगी मुझे ही खुशगवार बनानी है


सखियों पोस्ट प्रेगनेंसी अवसाद एक बीमारी है जिसे घरों में बीमारी नहीं माना जाता,,अगर आपका कोई अपना इस बीमारी से जूझ रहा है तो उसे प्यार दे रिश्तो में कोई कंपटीशन नहीं होता बस प्यार होता है और औरतें तो थोड़े थोड़े से प्यार से घर को संभाल देती है ....तो उनके दिल का रास्ता प्यार और ख्याल से भरा होना चाहिए....



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Varsha Sharma

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