पहली बार सफर

मेरी बिटिया के साथ पहले सफर की कहानी

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 09 Sep, 2020 | 1 min read
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जब से उसके आने की खबर मिली जीवन गुलजार हो गया |उसकी हर पहले चीज खास ही लगती थी| पहला एक्सपीरियंस सच में बहुत खास होता है जो भूले से भी नहीं भूलता, अब वह नन्ही सी कली हमारे आंगन में खेल चुकी थी और मेरा पूरा समय उसी के आसपास और उसी में रहकर व्यस्त हो गया था |मायका काफी दूर था तो जब से उसके आने की खबर मिली| तब से मैं बसों में जाने के चक्कर में मायके नहीं जा पाई थी |एक बार मम्मी ने लेने भी भेजा भाई को| लेकिन मुझे 8 महीने हो चुके थे तो सासु माँ ने मना तो नहीं किया लेकिन सब यही कह रहे थे कि आप अपनी जिम्मेदारी पर ले जाओ| अब नई शादी थी घर जाने का मन भी करता था |भाई लेने के लिए मम्मी ने भेजा था भाई मुझे ही समझाने लगा मुझसे छोटा था लेकिन इस टाइम वह ज्यादा बड़ा बन रहा था |मुझे उस पर गुस्सा भी बहुत आ रहा था| लेकिन अब क्या कर सकते थे??क्योंकि जाने मे 4 घंटे लगते थे |और बस से जाना पड़ता था| तो मैंने अपने मन को ही मार लिया कोई बात नहीं जब पैदा हो जाएगा | तब ही जाऊंगी | अब बिटिया सवा महीने की हो गई थी| और मुझे लगता है कि सभी बच्चे अपना पहला सफर नानी के घर तक ही पूरा करते होंगे| घर जाने की बातें भी चलने लगी और भाई लेने के लिए आया मम्मी ने उसको भी बहुत सारे इंस्ट्रक्शन दे रखे थे| कि बिटिया को भी पकड़ना है| सभी के लिए पहला एक्सपीरियंस| बड़ी दुविधा थी बच्चे को 6 महीने तक डॉक्टर ने कुछ भी खिलाने पिलाने से मना किया था| और मैं डॉक्टर की पूरी बात मान रही थी| मैंने उसको बोतल का दूध भी नहीं लगाया था| उसे मैं खुद का दूध पिलाती थी| फिर मैंने मम्मी से बात की मम्मी दूध कैसे पिलाऊंगी ???भाई भी साथ होगा| तो मम्मी ने मुझे कहा कोई बात नहीं यह कोई शर्म वाली बात थोड़ी है बच्चे को भूखा नहीं रखना है |उसकी तो पूरी दुनिया ही तुम हो| तुम से पानी भी नहीं देते हो पहले जमाने में तो बच्चों को पानी वगैरह पिला देते थे |तो क्या वो प्यासी रहेगी???मार्च-अप्रैल मे तो गर्मी बहुत पड़ रही थी| मै सोच रही थी इसकी सुविधा की कोई चीज ना छूट जाए ताकि वहां परेशान ना हो |वैसे तो मैं सूट पहन लेती लेकिन साड़ी पहनी ताकि रास्ते में दूध पिलाने में आसानी हो |एक तो पहली बार उसको लेकर सफर कर रही थी लेकिन बिटिया को इसलिए नहीं कहते कि वह ख़ास होती है| उसको लेकर हम बस स्टैंड पर पहुंचे तो बस नहीं आई थी |हमें अभी बस का इंतजार करना था |मैंने उसको एक जगह बैठकर दूध पिला दिया |भाई उसको खिलाने लगा | मैं घर में सबसे बड़ी थी तो बिटिया सबके लिए खिलौना थी भाई ने बोला कि गुड़िया अब सो जाओ फिर नानी के घर जाकर खेलेंगे | और बस में बैठते ही वह नन्ही सी जान जैसे सब कुछ समझ रही थी |मेरी परेशानी भी और रास्ते की लंबाई भी वह दूध पीते ही आराम से सो गई |हमारे घर जाने में 3 घंटे लगे और घर पहुंचने से थोड़ा देर पहले ही उठी| ना तो रास्ते भर रोइ|

ना परेशान ही किया| भाई भी कहने लगा कि यह तो बहुत अच्छी है |मामा की बात मानती है |मैं जिस सफर से डर रही थी उसे मेरी बेटी ने उस सफ़र को सुंदर और यादगार बना दिया और इस तरह मैं अपने मायके पहुंच गई ।.....

यह मेरा पहला एक्सपीरियंस है जब मैं उसको लेकर मायके गई...


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