तेते पांव पसारिए जेती लंबी सौर

जितना हमारा बजट हो हमें उतना ही काम करना चाहिए इसी को बताती है एक लघु कथा

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 11 Nov, 2020 | 1 min read
#culture



"क्या करूं ?इस बार दिवाली पर कपड़े लाने का बजट नहीं है, "

प्रतीक बोला

 इतनी बड़ी महामारी से बचे रहे यही बहुत है और हंसी खुशी त्यौहार मनाएंगे तो हम सभी को अच्छा लगेगा और अगर आप टेंशन में आकर उधार लोगे तो फिर यह कर्ज बढ़ता ही चला जाएगा | 

हां बेटा ,"बहू सही कह रही है उतने पांव पसारिए जेती लंबी सौर और देख बहू ने कितनी अच्छी मिठाई बनाई है घर पर और तू टेंशन लेकर वह मजा खराब कर रहा है ले खा .....मा ने मुंह में लड्डू दे दिया

सभी को नमस्कार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

 नए कपड़े लेना पुराने जमाने में इसलिए होता था कि पहले अपने मन मुताबिक कपड़े नहीं ले पाते थे तो त्यौहार का इंतजार करते थे और आज कल तो जब मन चाहे ओकेजन के हिसाब से हम कपड़े खरीद सकते हैं |जैसा कि प्रीति जी ने बताया कि बचपन में उनके कपड़े बनवाए जाते थे | सभी भाई बहनों के तो यह हम लोग भी ध्यान नहीं देते थे कि माता-पिता अपने नए कपड़े बनवाते थे या नहीं क्योंकि हम  तो आज भी बच्चों के नए कपड़े ले लेते हैं अपने वही पुराने पहन लेते हैं पुराने रखे हुए जो मतलब अच्छे से हैं अभी अच्छी हालत में है वही पहन लेते हैं बच्चों का साइज और हेल्थ बढ़ती रहती है तो इसलिए बच्चों को हर साल नये दिलाने में सही भी रहता है |

और बच्चों के पास अलग-अलग वैरायटी भी हो जाती है


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