फ्री सर्विस

तवायफ को वही लोग हिकारत की नजर से देखते है और खुद के गिरेणबां me nahi झांकते

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 14 Jun, 2021 | 1 min read
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#लघु कथा


 शीर्षक- ** फ्री सर्विस***


"अरे !!देखो क्या जमाना आ गया है तवायफ को भी इनाम बांटे जा रहे हैं, "सफेदपोश कपड़ों में बैठे हुए नेता जी ने अपने चालबाज मित्र को बोला , "

अच्छा वो फ्री सर्विस वाली

निकम्मे दोस्त ने मूछों पर ताव देते हुए बोला

 और पत्नी सुनकर ,पाषाण की तरह जडवत हो गई लेकिन आंखों से आंसू बह रहे थे "वह तवायफ नहीं है !!वह तो वरदान है उन बच्चियों के लिए जिन्हें अपने हवस के चक्कर में रौंद दिया जाता है |

 उसने कोठे पर जब से फ्री सर्विस देगी बच्चियों को बख्श दो तब से कहां कोई बलात्कार की खबर छपी है ..... और उसे यह जरूरत क्यों पड़ी अगर बलात्कारियों को निर्मम दंड मिलता तो शायद .....क्या फांसी मिलना बलात्कारियों के लिए सजा है? ????

वर्षा शर्मा नई दिल्ली



यह रचना पूर्णतया मौलिक अप्रकाशित अप्रसारित स्वरचित है

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