"अरे वाह मिताली आई है, "शीतल ने कहा
"आंटी मे आती हूँ उससे मिलने" हाँ बेटा आना |आंटी इतनी उदास क्यूँ है °°°°°अरे मेरा वकील दिमाग... क्या पता थकी हुई है?? इसलिए मे भी क्या क्या सोचती हूँ |चलो काम खत्म करती हूं फिर मैडम मिताली जी से मिलने चलूँगी |पता नहीं चला इतना टाइम हो गया |तीन साल एक बच्चा भी है |शादी मे भी नहीं आ पाई थी उसकी |मेरा नोवा महीना था | आंटी कहाँ हैं मिताली शीतल ने आकर पूछा | बेटा "अंदर ही है जाओ मिल लो" मिताली ओ मैडम कहाँ हो तुम अरे कहाँ अंधेरे में हो भई ईद का चांद हो गई तुम तो | तुम तुम क्या हुआ तुम्हें क्या हुआ |कंकाल बनकर रह गई हो |क्या हुआ?.??? रोने लगी मुझसे लिपट कर ओर मे तो धक से रह गई इतनी समझ दार ओर सुन्दर मिताली का आज ये हाल... शादी की है या इसकी बर्बादी | मिताली ने बोलना शुरू किया,, मे तो अवाक सी सुन रही थी "जुर्म है,पाप है कन्या को प्यार करो और हर कन्या मेरी तरह अपने माता- पिता को परेशान करे ओर वो भी बिना कोई जुर्म, गलत काम ओर पाप ना करते हुए तो उस कन्या की पीर सुनने वाला कोई नहीं है |आज अगर मेरी माँ मुझे जन्म ना देती तो शायद इतनी परेशान ना होती | तो शायद वो तिल तिल ना मरती |क्या मिला उन्हे मुझे जन्म देकर? आँखो में पानी भरकर, हर पल टेंशन, किस्मत भी क्या चीज है मुझे बार - बार अपने होने पर ही ये एहसास कराती है |
हर एक लड़की किरण बेदी या इन्दिरा गांधी नहीं होती | माँ बाप तो इसी उम्मीद मे पालते हैं |कि हमारी बिटिया नाम रोशन करेगी |पर मेरी तो शादी हुई माँ- बाप को परेशान करने के लिए |मे तो कहती हूँ सच्ची आत्मा से आँख मे पानी भर कर कि आज अपने बच्चे, माँ बाप को परेशान करने से अच्छा है कि मे मर जाती ओर किसी की परेशानी का सबब ना होती | मे जितना सोचती हूँ कि भगवान जो करता है अच्छे के लिए करता है |आज समझ में आता है कि क्यूँ लोग बचपन को अच्छा कहते थे |खेलो, खाओ सो जाओ अब तो ना खाया जाता है और ना सोया जाता है |हर बार आंख खुलती हैं तो नींद नहीं आती कितना आत्मविश्वास बनाऊँ, भगवान बहुत परीक्षा ले रहा है | आज तीन साल हो गए शादी को एक दिन भी सुख से नहीं निकला मेरे माता - पिता तो ना जाने कितनी गालियाँ खाते थे |मेरे पति भी बहुत रईस खानदान से है |बस उनकी छोटी सी मांग मेरे पापा को मेने नहीं मानने दी कि वो बाइक की जगह गाड़ी देदे |इतनी हिम्मत नहीं थी कि शादी से मना कर पाऊं |उस दिन के बाद तो जैसे मे उनके लिए खिलौना ही बन गई |पति ओर सास की तो सबसे बड़ी दुश्मन थी मे |क्या क्या जुल्म नहीं किए उन्होने काश शादी के दिन हिम्मत की होती तो यूँ तिल तिल ना मरती |
लेकिन अब ओर नहीं सहा गया| मेने तो काफी सहा कि रिश्ता निभ जाए कल ये ना हो कि मेने रिश्ते को समय नहीं दिया लेकिन इस बार हिम्मत ना करती तो शायद मर ही जाती |तुमने सही किया मरना किसी बात का सही हल नहीं है | ओर तुम्हारी ये सहेली किस दिन काम आएगी तुम्हारे केस को मे लड़ऊँगी |बस तुम अब धीरज रखो |शीतल ने कहा
शीतल ने कह दिया अब वो उसे उसका कॉन्फिडेंस, उसका मनोबल दिला पाएगी और उसके बच्चे के भविष्य के लिए उसको पैसे भी दिला कर मानेगी |बस मिताली से ये वचन लिया कि उसे मरने का ध्यान मन से निकालना होगा |लेकिन शादी के बाद होने वाले अत्याचारों का कोई जवाब किसी के पास नहीं है...
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