10 साल बाद आज घर में उत्सव का माहौल है ,सभी नए पुराने दोस्तों को बुलाया गया है | आज बच्ची का जन्म उत्सव मनाया जा रहा है|
जिस अनाथ आश्रम में से वह बच्ची को लाए हैं वहां पर उसकी बर्थ डेट कुछ पता नहीं थी ??तो उन्होंने जिस दिन उसको अपने घर में लाये उसी दिन उसका जन्मदिन मनाने का निर्णय लिया |
बहुत खुश थे दोनों|राज और राधा,
खुद का देवर ही खुश नहीं है, "कितना अच्छा होता अगर हमारी एक बेटी को गोद ले लेते, तीन तीन बेटियां हैं बाहर से भी तो बेटी को ही लिया है, "
सास भी कह रही है कि, "मैंने तो बोला था पर यह किसी की सुने तब ना ,कितने सालों इंतजार किया देखो लेकर भी तो आए लड़की को ,लड़के को लाती तो बुढ़ापे में सहारा भी बनता, अब मेरा बेटा सारी जिंदगी इसे पालता रहेगा बुढ़ापे में फिर अकेला.,",.
तभी राधा और राज ने उन दोनों की बातें सुनी और उनके पास आए ,"पिछले 10 सालों से हमने इस दिन का बेसब्री से इंतजार किया है और देवर जी जब तीन बेटियां आपके होने वाली थी तब हमने आपसे पूछा था कि आप हमें दे देंगे तो आपने मना कर दिया वह तो आप को जब पता लगा कि हम बाहर से बेटी ला रहे हैं इसलिए आप राजी हो गए कि सारी प्रॉपर्टी की हिस्सेदार बाहर की क्यों बने???
जब भगवान ने हमारी गोद सूनी रखी थी तो तब कोई नहीं आया था अब यह नन्ही सी गुड़िया हमारे जीवन में उजाला करने आई है और इसको लेकर अगर कोई टीका टिप्पणी करेगा तो मैं बिल्कुल किसी की नहीं सुनूंगी 10 साल तक मैंने बहुत सहा है और किया है अब मैं अपने बच्चे के लिए कुछ नही सुनूंगी, " इसलिए कृपया हमारे यहां उत्सव का आनंद लें अन्यथा आप जा सकते हैं, "
अरे !!!"देख तो अभी तो 2 दिन की बेटी लाई है कैसी जबान चल रही है???तू भी पूरा इसका गुलाम बन गया है ,जो यह कह रही है भाई और बाकी मां-बाप की कोई इज्जत नहीं रही, "
तभी राज वहां आया और बोला ,"मां दिलोजान से मैं और राधा आपकी ,सबकी इज्जत करते हैं लेकिन आज हमारे घर में उत्सव का माहौल आ रहा आप ऐसी बातें मुंह से निकाल रहे हैं ,माफ कीजिएगा मेरी बेटी अब मेरा पूरा जहान है इसकी मैंने जिम्मेदारी ली है तो मैं इसे पूरा भी करूंगा,,चाहे उसके लिए मुझे किसी का भी त्याग करना पड़े"
मां गुस्से में भरी उन्हें देख रही थी और ऊपर से आग में घी डालने का काम मौसियो ने किया जो आई हुई थी| वह भी मां को भड़काने लगी लेकिन बोली क्यों पार्टी छोड़ते हो ???अपना पार्टी खाकर जाओ फिर आगे से मतलब मत रखना |
पार्टी तो खत्म हुई, लेकिन सासू मां उन्हीं के साथ रहती थी| अब बिटिया को देखकर उन्हें लाड तो आता था लेकिन फिर कुछ ना कुछ ऐसा ताना कस देती थी कि दोनों को बुरा लगता , हां तू बहुत सुंदर है पर ऐसे नहीं जैसी मेरी पोतिया मेरी पोतिया तो सब में अलग दिखाई देती हैं , "
अब राधा और राज ने निर्णय लिया कि मां को छोटे भाई के पास भेज देंगे और खुद मां से अलग रहना मंजूर है क्योंकि धीरे-धीरे बिटिया बड़ी हो रही है और मां की बातों को समझने लगी है |राधा और राज ने भी उस जगह से अपना मकान शिफ्ट कर लिया क्योंकि आगे आने वाली परेशानियों को वह जानते थे कि छोटी-छोटी बातों पर सासू मा ताने देंगी, और वह बढ़ती हुई बिटिया के सवालों का जवाब नहीं दे पाएंगे|
अब 5 साल अलग रहे है | तो थोड़े थोड़े समय में कोई सी ना कोई सी मौसी परेशान करती रहती थी कि तुमने अपनी मां को छोड़ दिया???पराई बच्ची के कारण तुम अपनी सगी मां को भूल गए कोई ऐसा भी बेटा बहू होते हैं??कलयुग है घोर कलयुग
लेकिन राज और राधा अपने फैसले पर अडिग रहे 5 साल सबसे अलग रहे तो वह सब को उनकी अहमियत पता चली| अब सब बिटिया को भी प्यार करने लगे बिटिया थी इतनी प्यारी उसको देखते ही पूरी थकान भूल जाते थे| लेकिन डर तो दोनों को लगा हुआ है कि कभी कोई ना कोई जरूर बिटिया को बता देगा कि उन्होंने उसे गोद लिया है ???बस एक यही डर था जो दोनों को सताता रहता था और इसी असमंजस में थे कि कहीं बताने के बाद अपनी बेटी को दूर ना कर दे जो कि अब उनकी जान थी
1 दिन टीवी पर उन्होंने सुष्मिता सेन का वीडियो देखा जिसमें उन्होंने गोद ली हुई बेटी की मानसिकता के बारे में बताया था| अब राज और राधा का डर कुछ कम हुआ और उन्होंने अपनी बेटी से बात करने का निर्णय किया |बेटी अब 10 वर्ष की हो चुकी थी | चीजों को समझती थी कहीं बाहर से पता चले इससे अच्छा उन्होंने खुद उसका विश्वास जीतकर उसे बात बताने का निर्णय..किया|
कोई दूसरा पता नहीं किस हिसाब से उसको बताएगा लेकिन अगर हम बताएंगे तो वह बात हमारी बेटी समझेगी, क्योंकि हमने उसे अच्छी परवरिश दी है | और वह तो है ही बचपन से समझदार है,
राज और राधा ने जब बिटिया को इस बारे में अपने तरीके से समझाया तो बिटिया सुनकर अपने कमरे में चली गई वह सब कुछ समझती थी|
अब राज और राधा बहुत ज्यादा फिक्र में थे कि कहीं उन्होंने अपनी बिटिया को ना खो दिया हो|
बेटी को कमरे में देखने गए तो कमरे में नहीं थी |वह किचन में से दो गिलास पानी लेकर आई और कुछ गुनगुना रही थी उसका बहुत अच्छा मूड था | अब दोनों को लगा कि शायद बिटिया उन्हें समझ रही है |
तभी बिटिया ने गाना गुनगुनाया मेरी जिंदगी सवारी मुझको गले लगाया और कह कर दोनों के गले लग गई |
अब तीनों की आंखों में आंसू थे| जो कि तूफान आने के बाद की शांति थी| बिटिया बोली मुझे चाची और दादी ने कई बार इशारों से कुछ कुछ कहा था आप लोगों के बारे में ....लेकिन मैंने उन पर यकीन नहीं किया जब आपने मुझे बताया तो मेरा सर गर्व से ऊंचा हो गया थैंक यू मां पापा ..........
सखियों
कई पेरेंट्स होते हैं जो बच्चों को गोद लेते हैं उन्हें लोग ऐसी दृष्टि से देखते हैं जबकि उनका तो सम्मान किया जाना चाहिए| क्योंकि उन्होंने एक रोते हुए चेहरे को हंसाया है और भगवान ने उन्हें किसी फरिश्ते की मदद करने के लिए भेजा है |और गोद लिए हुए बच्चे से भी कभी छुपाना नहीं चाहिए| आप अपने बहुमूल्य विचार दे सकते हैं|
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