" जी बिल्कुल गुप्ता जी आप की बेटी बहुत खुश रहेंगी
, " और आज रिश्ता पक्का हो गया
सभी को विदा करने के लिए बाहर तक आई थी, शोभा
सोचा पड़ोस में मिठाई भी दे दूं तो वह मिठाई देकर वापस जा रही थी| ,"लड़के तो बहुत अच्छे हैं इसे उन पर घमंड है पर......
देखो तो कैसे मटक मटक कर चल रही है????जैसे किसी राज्य की रानी हो पति को छोड़कर तो आ गई, अगर इतनी ही अच्छी होती तो आज अपने घर में निभा रही होती ,"
पति को छोड़ कर अकेले नहीं रह रही होती, "
शोभा को देखकर आस पड़ोस की औरतें व्यंग कसने लगी|
शोभा को भी पता था कि उसके पीठ पीछे औरतें उसे घमंडी कह कर बुलाते हैं |
कभी-कभी तो शोभा को लगने लगता कि बच्चों पर घमंड करती है तो कहीं कोई पाप तो नहीं कर रही......
लेकिन फिर सोचने लगी
सुंदर थी तो इसमें उसकी तो कोई गलती नहीं थी सूरत के साथ-साथ सीरत भी भगवान की दया से अच्छी ही पाई थी |
लेकिन यही सुंदरता उसके लिए अभिशाप बन गई पति ने लोगों के बहकावे में आकर उस पर शक करना शुरू कर दिया और कितना समझाने के बाद भी उसके मानसिक दशा खराब ही होते गई अंत में जुएं और शराब की लत और लग गई जिससे शोभा का परिवार गर्त में जाने लगा ........शोभा के पास दो ही विकल्प थे
या तो पति को छोड़कर अलग रहे या फिर जैसे चल रहा है वैसे चलने दे!!!!!!दोनों बच्चे भी बड़े हो रहे थे दोनों बेटे सब कुछ समझते थे, एक दिन बड़े बेटे ने गुस्से में आकर नशे की अवस्था में पिता पर हाथ उठा दिया |
एक तरीके से तो सही था ,अपनी मां को कष्ट सहते हुए नहीं देख पा रहे थे लेकिन मां कैसे अपने बच्चों को बिगड़ते हुए देख ले ........ बच्चे का हाथ उठाना मां को अंदर तक झकझोर गया कि अब अगर ज्यादा देर होगी तो कल को एक और बच्चा ऐसा ही मैं भी तैयार कर दूंगी, ", जो बात बात पर हाथ उठाएगा यह हम बच्चों को क्या सिखा रहे हैं? ?? ? ना चाहते हुए भी कोई औरत नहीं चाहती घर उजाड़ ना लेकिन उसके पास अगर कोई विकल्प ही ना बचे तो....
उसी समय निर्णय लिया अलग रहने का.....हां पास में पैसे नहीं थे नौकरी ढूंढ सकती थी लोगों ने कहा कि रूप पर ज्यादा घमंड है या फिर इसके संबंध गलत हैं लेकिन उसे सिर्फ अपने बच्चों के बारे में सोचना था | क्योंकि यह लोग तो सिर्फ बातें बनाने के लिए आते हैं मुसीबत में कोई काम नहीं आता|
और वह अलग हो गई |
आज दोनों बेटे बहुत अच्छी पोस्ट पर हैं दोनों की शादी की बात चल रही है बस शोभा यह चाहती है कि अपने पिता के उन गलत संस्कारों से दूर एक औरत को ये खुशी प्रदान करें!!!!
आसपास की औरतों का बोलना जारी था
तभी वहां पर शर्मा आंटी आ गई जिनके सामने शोभा की पूरी जिंदगी बीती थी तब उन्होंने कहा कि तुम औरत होकर औरत को कैसी बातें कह रही हो?????क्या तुम उसके कष्ट के समय उसके साथ थी?????नहीं तो फिर तुम्हें उसे घमंडी कहने का कोई हक नहीं यह घमंड उसने अपनी मेहनत से पाया है.......शोभा भी बोली कि" अगर अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना और उन्हें अच्छे से पालन पोषण करना घमंड है तो हां मैं घमंडी हूं, "
कई बार हम किसी को देखकर अपनी धारणा बना लेते हैं जबकि हमने नहीं देखा कि उसने अपना समय किसदुख में गुजारा, और अगर आप सही हैं खुश है तो आपको दूसरों की मानसिक स्थिति को समझना चाहिए और जरूरी नहीं सभी वैवाहिक जीवन खुशहाल होते हैं कुछ वैवाहिक जीवन मुश्किलों से भरे हुए भी होते हैं|
आप अगर उसी स्थिति में होते तो आप क्या निर्णय लेते यही सोच कर सामने वाले के विषय में सोचें.. . ...
क्योंकि हर औरत एक मां होती है और मां चाहती है कि उसके बच्चे संस्कारी बने
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