मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दिवाली में

दिवाली पर छोटे छोटे व्यापार को बढ़ावा देने की शिक्षा देती हुई एक लघु कथा

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 27 Oct, 2020 | 1 min read
#culture # motivational #dharm#vishwas# #diwali #

# त्योहार तो एक बहाना है



"अरे !!रोनित तुझे काम कहना था बेटा"


, "हां मां बोलो"




" त्योहार शुरू होने वाले हैं , कुम्हार के घर से जा कर दिए लेकर आ जाना और इस बार पूरे सौ दिए लाना फिर बीच-बीच में जाकर लाने पड़ते हैं ,साल भर तक चलते रहेंगे, निर्मला जी ने कहा



"क्या मम्मी ??तुम भी आजकल कौन इतने दिये  लगायेगा उनको धोओ, सुखाओ ,तेल डालो???


लड़ियां एक से एक आती है मैं ऑनलाइन मंगा लूंगा और उनको सैनिटाइज भी नहीं करना पड़ेगा, " रोनित ने कहा



मां बेटे की बातें दादी भी सुन रही थी

, रोनित नाश्ता करने लगा तो बोला

, क्यों दादी आप क्या कहती हो???आपको भी अच्छी लगती है ना सजावट लाइट वाली ???तो आप बताओ इस बार कैसी लाइट मंगाऊं, "

,"हां लाइट भी अपनी जगह सही है बेटा"

और तू बता तुझे बोनस नहीं मिल रहा दिवाली का? ?


अरे!!!दादी ऐसे माहौल में बोनस की तो बात ही मत पूछो जिन लोगों के पास नौकरियां नहीं है उनका सोचो

यह तो शुक्र मनाओ मेरी कंपनी बहुत अच्छी है कि मुझे नौकरी से नहीं निकाला, "


"""हां तो मेरा पोता है इतना कामयाब कि तेरे बिना उनका काम ही नहीं चलेगा, "


हां लेकिन बोनस मिले तो अच्छा तो लगता ही है और देखो अगर कुछ बात बनी तो बॉस बोनस भी दे दे! ! रोनित बोला


, दादी  मुस्कुराई और बोली, "हां तो बस इसी तरह

दिवाली पर अपने आस-पड़ोस के छोटे छोटे व्यापार करने वाले लोगों को भी मदद करने का त्यौहार एक बहाना होते हैं इस तरीके से उन लोगों की भी मदद हो जाती है और हमारे घरों में भी रोशनी हो जाती है,


""हम नहीं खरीदेंगे कोई और तो खरीदेगा लेकिन अगर हम लोग ही खरीदते हैं तो यह उनके लिए बोनस हो जाएगा, "

तुम देखो छोटी छोटी चीजें बेचने वाले इनके घरों में भी तो दीवाली की तैयारियां शुरू होती है कि ज्यादा से ज्यादा बिक्री होगी तो यह लोग अपने घर में अच्छे से दिवाली बना पाएंगे और बड़े बुजुर्ग इसलिए कहते हैं त्योहार तो एक बहाना है, एक दूसरे की मदद करते हुए अपना त्योहार हसीन बनाना है, "

"हां दादी मैं समझ गया , "

और समझूंगा क्यों नहीं जिसकी दादी इतनी अनुभवी है वह क्या मुझे गलत बताएंगे?


"आज शाम को ही  दिये लेकर आऊंगा और कोई मोल भाव भी नहीं करुंगा, सच में यह मुसीबत के समय तो स्वास्थ्य , पैसा दो ही चीजें ऐसी हैं जो काम आई है|


दोस्तों रोनित तो समझ गया एक तो बड़े बुजुर्ग सभी चीजों को अपने अनुभव से बताते हैं और अपने आसपास के छोटे व्यापारियों की मदद करने के लिए भी त्यौहार एक बहाना है तो क्या आप तैयार हैं किसी के घर को रोशन करने के लिए? ? ???? और इस महामारी के समय में हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करनी चाहिए


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Varsha Sharma

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