#कहां गया मम्मी का संडे
सुनो!!!!आपको पता है सब संडे मनाते हैं!!!!!हां हां कौन कौन बनाता है, "हां तुम्हारे तो रोज ही संडे रहता है हम तो आज ही हैं घर पर है |तुम तो रोज घर पर ही रहती हो आराम से, तुम्हें किसने मना किया है रोज फ्री हो ",नहीं मैं वैसे नहीं कह रही जैसे संडे होता है जैसे रिया है संडे को भी सब लोग मिलकर काम करते हैं और फिर सब इंजॉय भी साथ में करते हैं| हां तो तुम तो रोज ही आराम करती हो और रिया को देखो वह सारा दिन भर बाहर रहती है और संडे तो वह भी मना लेगी कमाकर लाती है ना ||तुम्हारा क्या तुम्हारे तो रोज ही मजे हैं दादी मां यह बातें सुन रही थी, ""हां बेटा आज का नया जमाना है नई नई रीत निकली है संडे मनाओ हमने तो अपनी सारी जिंदगी घर के कामों में खपा दी , कभी यह सोचा ही नहीं आजकल की दुल्हन के नए-नए चोचलें हैं निभाओ ,,सर पर भी तो तुम ने हीं चढ़ाया है,,नहीं तो मजा आ जाएगा आदमियों की बराबरी करने का कि संडे मनाओ संडे मनाओ........ सीमा घबरा गई ,!!!!और उदास हो गई !!!दादी मां ने संडे मनाने को ऐसा कर दिया जैसे उसने कोई बड़ा पाप किया हो|.
सीमा उदास होकर किचन में चली गई| तभी पीछे से सासू मां बोली ,"बेटा सीख तो हमें ही देनी थी लेकिन हम न हीं अपने लिए आवाज उठा पाए कोई बात नहीं लेकिन अब से मैं तुम्हारे साथ हूं तुम्हें संडे मनाना है तो हम मिलकर तैयारी करेंगे लेकिन संडे जरूर बनाएंगे, "जरूरी नहीं कि जो बाहर जॉब करती हैं वही संडे मना सकती हैं एक ग्रहणी भी सारा हफ्ता बिजी रहती है और संडे को वह भी इंजॉय के अधिकारी है "|लेकिन मां वह दादी जी›????दादी थोड़ा पुरानी ख्यालात की हैं | लेकिन वह भी मान जाएंगी जब उन्हें मजा आएगा अब तुम चलाओ अपनी कोई फुलझड़ी ताकि दादी भी हमारे साथ हो जाए खड़ी| दोनों मुस्कुरा कर गले लग गई दुख तो सासू मां को भी बहुत था क्योंकि अपनी सास के चक्कर में वह हमेशा ही सुनते सुनते और पिस्ते आई है| लेकिन अब वह अपनी बहू को नहीं सुनने देगी उसके संडे मनवा कर जरूर रहेगी उन्होंने मन में ठान लिया था|
, संडे की सुबह दोनों सासु बहू मॉर्निंग वॉक के लिए निकल गई| एक साथ वॉक पर घर में तो जैसे कोहराम मच गया|, "अरे चाय पानी कुछ मिलेगा " अखिल अपने रूम से चिल्लाया" दादी बाहर आई और बोली" देख ले बेटा तेरी मां भी तेरी बहू के नक्शे कदम पर चल रही है|" अखिल ने फोन किया तो मां ने फोन उठाया बोली", बेटा किचन में जाकर देखो कैटल में चाय रखी है ले लो ",हम अभी वॉक से आधे घंटे में आ जाएंगे| नाश्ता तैयार आप लोग नहा धोकर रेडी हो जाओ!!!!!!!
अखिल किचन में गया नाश्ते की तो कोई तैयारी नहीं है | मां ने कहा कि नाश्ता तैयार है सोचने लगा????लेकिन क्या कर सकता था??न नहधो कर तैयार हो गया| मां और रिया आए गरमा गरम नाश्ता टेबल पर लगा था यह क्या है मां ?????आपने तो अभी तक किचन में कुछ बनाया नहीं था |???वह बेटा हम वॉक पर गए थे ना तो बड़े अच्छे छोले भटूरे बन रहे थे और तुम्हें तो कितने पसंद है चलो सब मिलकर खाते हैं |ससुर जी ने भी कहा अरे भाई"" वाह आज तो सब मिलकर खाएंगे चलो सब अपने-अपने प्लेट लगा लो और बातें करते हुए खाएंगे| सभी को खाकर बहुत मजा आया बाद में मा ने गरमा गरम जलेबी भी निकाली जो दादी मां को बहुत पसंद थी| कपडे मा ने सैटरडे रात को ही धुलवा दिए थे| तो आज कपड़े धोने का काम नहीं था |मैं लूडो लेकर आई तो सब ने बारी-बारी से बड़े आराम से खेला और बड़ा मजा आया| फिर लंच का टाइम आया तो ससुर जी बोले कि आज बाहर से ऑर्डर कर लो खेलने में बड़ा मजा आ रहा है कोई मत जाओ| फिर शाम को घूमने चलेंगे| सासु मां मेरी ओर देखकर मुस्कुराने लगी! !!
तभी दादी मां बोली ,""#अरे भाई किसे अच्छा नहीं लगता है ऐसे बैठना और सबके साथ मजे करना हम ने तो अपना कीमती समय घर गृहस्ती के कामों में गवा दिया "और कुछ इसलिए भी की फैमिली बहुत बड़ी होती थी आधे लोगों की तो पसंद भी नहीं जानते थे" बस काम में लगे रहेरहे!!!!!बेटा रिया थैंक क्या कहते हैं तुम्हारी भाषा में थैंक्यू....बड़ा मजा आता है भाई संडे मनाने में तो लेकिन......,"भाई अब मेरा पेट रात को , इजाजत नहीं देगा बाहर का खाना बनाने खाने की| नहीं दादी मां मैं आपके लिए दलिया और सूप बनाऊंगी| और सब के लिए घर में ही खाना बनाऊंगी | ,""नहीं रिया बेटा हम सब तुम्हारी मदद करेंगे और सब मिलकर साथ खाएंगे दिन भर की तरह"""* ससुर जी बोले |संडे मनाने से मतलब है कि हम मिलकर इंजॉय करें ,"यह नहीं है कि मैं घर का कोई भी काम नहीं करूंगी बस यह है कि हमारा भी कोई महत्व है|, "सासू मां बोली| हां हां.....वही जो भी है चोखा है "मनाओ मनाओ ,"संडे मनाओ दादी मां ने कहा | फिर ससुरजी मुस्कुरा कर बोले हमें तो पता ही नहीं चला# कहां गया मेरी मम्मी का संडे सब मुस्कुरा कर फिर से खेलने लगे|
सखियों ,धन्यवाद आप सब की बदौलत ही संडे मनाने का विचार रिया को आया| और एक पूरी फैमिली में हंसी के कहकहे गूंज उठे ऐसा नहीं है कि ,"हम औरतें चाहती हैं कि संडे को बिल्कुल भी काम ना करें लेकिन बस यह है कि हमारे काम को थोड़ा महत्व मिले और ग्रहणी हो या वर्किंग सभी को संडे मनाने का पूरा हक है ||पूरा 1 दिन तो कोई भी औरत बिना किसी काम के शायद ही फ्री रह सके | लेकिन छोटे-छोटे लम्हे तो चुराए जा सकते हैं |र अगर किसी को पता करना है कि क्या मजा आता है", संडे मनाने में तो उनसे यही कहना चाहूंगी कि """""""संडे मनाओ खुद जान जाओ"""""
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