क्या लिख रही हो?, मुझे भी पढ़ाओ , सुषमा
, "नहीं आप नहीं समझोगे, "अरे भाई हिंदी है" |कोई और भाषा थोड़ी है??जो मैं नहीं समझूंगा दिखाओ क्या लिख रही हो| नहीं नहीं मैं नहीं दिखाऊंगी तभी छोटी ननंद कमरे में आई और बोलने लगी ,"मुझे दिखाओ भाभी मैं पढ़ लूंगी, " नहीं मैं पहले सबसे मम्मी जी को पढ़वाऊंगी, पक्का मां के बारे में कुछ लिखा होगा| "डांट पड़ेगी मैडम क्या खुश हो रही हो,| " तीनों मां के पास पहुंचे और मां को पढ़ने के लिए डायरी दी|, " मां रोने लगी|सुषमा के पति तो घबरा गए कि ऐसा क्या लिख दिया ??कहीं मां नाराज ना हो जाए| फिर तो ननंद ने फटाफट डायरी लेकर कविता पढ़ी| तब जाकर पतिदेव को चैन आया |और सास बहू और बेटी तीनों मिलकर एक दूसरे के गले लग गई|
कैसी लगी आपको यह कविता? क्या आप अपने मायके की याद में खो गई| कमेंट में जरूर बताएं और मायके पर लिखी इस कविता का आनंद लें...
मायका
😍मायके के प्यार पर ,ये सारी नारी वारी है|
कुछ दिन को जाती है ,साल भर का प्यार लाती है|
उसी प्यार से खुद को, ऊर्जावान बनाती है|
ससुराल के छप्पन भोग भी ,मां की रोटी पर बलिहारी हैं|
मायके के प्यार पर, ये सारी नारी वारी हैं|
मायके में जाती है तो खुद बच्ची बन जाती हैं|
छोटी-छोटी यादों को डिब्बों में भर लाती है|
वापस आते आंसुओं से भीगी इनकी साड़ी है|
मायके के प्यार पर ,ये सारी नारी वारी है|
मां ओ भाभी कहती , सब सामान बांध लो
पापा कहते कुछ भूल ना जाना बेटा|
सब सामान समेटती हूं, बस छूटती यादों की गठरी है|
मायके के प्यार पर ,ये सारी नारी वारी है|
मायके को कभी गाली पड़े, तो तन बदन जल जाते हैं|
बड़े लोग सही कहते हैं, मायके की तो लकड़ी भी प्यारी है|
मायके के प्यार पर , यह सारी नारी वारी है
😍😍😍😍
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