मायके की यादें

Mayke Ki Yaadon Mein dubi Hui कथा

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 14 Jun, 2020 | 1 min read

क्या लिख रही हो?, मुझे भी  पढ़ाओ , सुषमा

, "नहीं आप नहीं समझोगे, "अरे भाई हिंदी है" |कोई और भाषा थोड़ी है??जो मैं नहीं समझूंगा दिखाओ क्या लिख रही हो| नहीं नहीं मैं नहीं दिखाऊंगी तभी छोटी ननंद कमरे में आई और बोलने लगी ,"मुझे दिखाओ भाभी मैं पढ़ लूंगी, " नहीं मैं पहले सबसे मम्मी जी को पढ़वाऊंगी, पक्का मां के बारे में कुछ लिखा होगा| "डांट पड़ेगी मैडम क्या खुश हो रही हो,| " तीनों मां के पास पहुंचे और मां को पढ़ने के लिए डायरी दी|, " मां रोने लगी|सुषमा के पति तो घबरा गए कि ऐसा क्या लिख दिया ??कहीं मां नाराज ना हो जाए| फिर तो ननंद ने फटाफट डायरी लेकर कविता पढ़ी| तब जाकर पतिदेव को चैन आया |और सास बहू और बेटी तीनों मिलकर एक दूसरे के गले लग गई|

कैसी लगी आपको यह कविता? क्या आप अपने मायके की याद में खो गई| कमेंट में जरूर बताएं और मायके पर लिखी  इस कविता का आनंद लें...

मायका

😍मायके के प्यार पर ,ये सारी नारी वारी है|

कुछ दिन को जाती है ,साल भर का प्यार लाती है|

उसी प्यार से खुद को, ऊर्जावान बनाती है|

ससुराल के छप्पन भोग भी ,मां की रोटी पर बलिहारी हैं|

मायके के प्यार पर, ये सारी नारी वारी हैं|

मायके में जाती है तो खुद बच्ची बन जाती हैं|

छोटी-छोटी यादों को डिब्बों में भर लाती है|

वापस आते आंसुओं से भीगी इनकी साड़ी है|

मायके के प्यार पर ,ये सारी नारी वारी है|

मां ओ भाभी कहती , सब सामान बांध लो

पापा कहते कुछ भूल ना जाना बेटा|

सब सामान समेटती हूं,  बस छूटती यादों की गठरी है|

मायके के प्यार पर ,ये सारी नारी वारी है|

मायके को कभी गाली पड़े, तो तन बदन जल जाते हैं|

बड़े लोग सही कहते हैं, मायके की तो लकड़ी भी प्यारी है|

मायके के प्यार पर , यह सारी नारी वारी है

😍😍😍😍

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Varsha Sharma

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