- मुझे ऐसा लगा कि कोई मुझे सुन रहा है............मैं और जेठानी बात कर रहे थे.... हम किचन में थे और हमने घी बनाने के लिए रखा हुआ था |वहीं पर बातें करने लगे|सासू मां घर पर नहीं थी| बच्चे भी अपने काम में लगे हुए थे| हमारा बातों बातों मे घी सारा जल गया | जेठानी ने कहा और कोई नया लेक्चर सुनने को मिलेगा|, "जेठानी ने कहा जब मैंने मायके जाने की बात की उस टाइम पर मुझे मना कर दिया था|, "और ,,,,यह डब्बे ढकने के ऊपर भी कितना डांटते हैं| ना दीदी सासू माँ|, "मैंने इतना बोला तो देखा पीछे से सासू मां आ गई| और अपने काम में लगी हैं |कुछ नहीं बोला उन्होंने अब मुझे टेंशन हो गई| एक तो घी जल गया.....फिर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा !!!हमने सोचा कुछ बोलेंगे तो उनको बता देगें| लेकिन वह तो कुछ नहीं बोली |बस चुपचाप अपने काम में लग गए | अभी एक-दो महीना ही हुआ है शादी को |मैं अच्छे से जान नहीं पाई |मैंने सोचा शाम को जब पति आएंगे तब शायद सबके सामने बोले !!!लेकिन तब भी कुछ नहीं बोली पूजा-पाठ में लगी रही| अब तो मुझे डर लगने लगा था कि कहीं पति को बता दिया |और वह गुस्सा हो गए तो.... सासु मां की चुप्पी हमारे लिए मुसीबत सी लग रही थी |ऐसा लग रहा था कि हमने क्यों बात की????क्या पता उन्होंने क्या बात सुनी???जिसका उन्हें बुरा लग गया जेठानी तो पहले से थी घर में . ...इसलिये वे तो बेफिक्र थी लेकिन मैं सच में डर गई थी| अगले दिन भी मैं उठी तो सब कुछ नॉर्मल था| मैंने भी सोचा शायद बात भूल गई होंगी ||लेकिन किचन में जाकर देखा तो वहां सारा खाना तैयार था| शायद गुस्सा थी ........अब मुझे और ज्यादा डर लगने लगा | जब सब लोग चले गए नाश्ता करके तो उन्होंने मुझे और जेठानी को अपने कमरे में बुलाया| हम डरते डरते पहुंचे तो कहने लगी| बेटा मेरी कमियां मुझे बताओ| हंसी प्यार से रहना है तो..... . . . जिस तरह मैं तुम्हें तुम्हारी कमियां बताती हूं.....मैं कहीं बाहर जाकर नहीं बताती |और वह भी इसलिए कि तुम ठीक से रहो |जेठानी को देखते हुए बोला कि मैंने तुम्हें मायके जाने के लिए क्यों मना किया था???क्योंकि तुम्हारे पति की एक अर्जेंट मीटिंग थी |और अगर तुम चली जाती और वह छोड़ने जाता इसलिए मैंने तुम्हें मना किया |और हां छोटी बहू डब्बों का ढक्कन इसलिए जरूरी है| क्योंकि एक बार मेने दूध लिया था और ऐसे ही बिना ढके छोड़ दिया .......पता नहीं कहां से छिपकली आकर गिर गई| तुम्हारे ससुर जी ने देख लिया नहीं तो कोई उसको पी लेता तो कितनी मुसीबत होती छोटे-छोटे बच्चे थे |इसलिए यह सब चीजें मैं तुम्हें बताती हूं जो मेरे अनुभव है और अगर तुम्हें बुरा लगता है |तो मैं नहीं बताऊंगी |लेकिन घर में जैसे तुम अपनी मम्मी से बात करती हो और मम्मी की तरह समझोगे तो शायद हमारा यह रिश्ता सास बहू से हटकर होगा | और "बबीता तुम्हें तो मेरी आदत पता है , "जेठानी को देखकर बोले या तुम अपनी देवरानी को डरा रही थी कि बुरी सासु है हमारी|....... अब दोनों को बहुत अफसोस हो रहा था |दोनों ने सॉरी बोला| हम आपकी बातों से सहमत हैं इसलिए हमें माफ कर दो|आप हमारे लिए सोच रही थी |बता रही थी हम आपको गलत समझ रहे थे | आइंदा आपकी कोई बात बुरी लगी तो हम आपको ही कहेंगे और आप हमें जरूर बताना |एक मां की तरह और तीनो गले लग गई.....
सखियों ऐसा कई बार होता है कि हम जैसे सुने हुए रिश्ते अपने लिए सोचने लगते हैं |जबकि वह हमारे फायदे के लिए ही होते हैं |जरूरी नहीं हर सास बहू का रिश्ता लड़ाई का हो इसे प्यार से अलग रिश्ता भी बनाया जा सकता है....
आपको यह कहानी कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएं...
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