पेपर विफ़्फ् हमारी पहचान

कदम से मिला कदम आगे उड़ान भर दूसरे लोगों के लिए तू मिसाल बन पेपर विफ़्फ् से पहचान बना

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 25 Mar, 2021 | 1 min read
#contest

लिखने से क्या मिलता है ????

कई जगह एप पर लिख रही थी लेकिन जब पहली बार कहानी ," पाषानी हूं मैं",

पेपर विफ़्फ् पर लिखी तो उसके लिए मुझे पुरस्कार भी मिला, बहुत अच्छा लगा|

मन तो बड़ा चंचल होता है तारीफ सुनकर कदम आगे बढ़ते रहते हैं और यही सिलसिला मेरे साथ चल निकला |पहली बार कोई प्रतियोगिता चल रही थी उस में पार्टिसिपेट करना था तो सभी सखियों और दोस्तों से पूछ पूछ कर ब्लॉग लिख दिया|

लॉक डाउन का समय था सब लोग निराशा से घिरे हुए थे लेकिन लेखकों को तो अपनी लेखनी से इतना प्यार होता है कि अपने मन के भावों को लिखकर उतार देते हैं और उस समय पेपर विफ़्फ् का बहुत बड़ा योगदान रहा|

समय-समय पर लाइव प्रतियोगिताओं में भी विजेता बने|

वृन्दा मैम के साथ अप्रैल या मई में लाइव हुआ तब मै बिल्कुल नई थी उन्हें कविताएं और गध पसंद आया| मैंने खड़ी बोली में भी कहानियां लिखें |जो कि उत्तर प्रदेश की बोली है ,पहला ऐसा मंच जिस पर हम अपनी मातृभाषा में लिख सकते हैं और वह हमें मातृभाषा में लिखने के लिए प्रोत्साहित करता है |जून में मुझे खड़ी बोली का एंबेसडर बनाया गया और नवंबर में खड़ी बोली की भाषा को पुरस्कृत किया गया| जो मेरे लिए बहुत गर्व की बात है |भाषा तो हमेशा सम्मान देती है लेकिन जब हमारी वजह से भाषा को सम्मान मिले तो यह हमारे लिए गर्व की बात होती है |पेपर विफ़्फ्में से मिली ट्रॉफी मेरे लिए बहुत अहम है |आज बच्चों की ट्रॉफी के बीच मै भी अपनी जगह बना पाई हूं नहीं तो घर गृहस्थी के चक्कर में लिखना छूट गया था |

पेपर विफ़्फ् ने लेखन को सुधारा भी और बढ़ाया भी समय-समय पर होती प्रतियोगिताओं में

तो हमें सर्टिफिकेट, कैश प्राइस और नाम दिया है जो कि और किसी मंच पर संभव नहीं है|

नये लिखने वाले लोगों के लिए यही संदेश है कि www.paperwiff.com पर जाएं और आज ही अपना आर्टिकल लिखें | आप इस पर कहानी आर्टिकल, विचार ,आयोजन, कविताएं कुछ भी भेज सकते हैं|

राशि चाहे छोटी हो या बड़ी जीतने का महत्व बहुत होता है |और समय-समय पर माइक्रो फेबल लिखने पर भी पुरस्कृत किया जाता है | पेपर विफ़्फ् से जुड़े कभी भी कोई प्रॉब्लम होती है इंस्टाग्राम पर मिथुन सर को तुरंत डीएम करते हैं तो हमें उसका सलूशन मिलता है और वृंदा जी तो इतनी छोटी सी उम्र में इतनी परिपक्व है कि दूसरे लेखकों की मन की बातें समझ लेते हैं |

आज लेखन के क्षेत्र में , मैं जो कुछ भी हूं पेपर विफ़्फ् का बहुत बड़ा योगदान है |


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Varsha Sharma

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