अरे तुम लोगों ने यह धंधा बना लिया है मांगने का कहां बाढ़ आ रही है???यहां तो कहीं बारिश की बूंदे भी नहीं|
गुस्सा होकर राधा ने भगा दिया उस औरत को और घरवालों से जाकर कहने लगे कि देखना कहीं ना कहीं से आ जाते हैं| परेशान करने कह रही है कि बाढ़ में घर बह गया | हम क्या करें ??वहां से यहां तक कैसे आ गए मांगने के लिए ??कुछ काम करो सरकार इतनी मदद कर रही है पर इन लोगों को मांग कर चैन पड़ता है| और वह अपने काम में लग गई| शाम को न्यूज़ में देखा कि बाढ़ से कई घर तबाह हो गए| अब उसे अपने आप पर पछतावा आया कि कुछ मदद तो वह कर सकती थी| लेकिन अब वह क्या कर सकती है क्योंकि वह बुढ़िया तो सुबह ही चली गई|
उधर बुढ़िया बहुत परेशान थी भरा पूरा घर था चाहे झोपड़ी थी| लेकिन जब बाढ़ में बह गई तो उसका तो जैसे आशियाना लुट गया| उसको मांगने में भी बहुत शर्म आती थी| लेकिन उम्र इतनी थी कि अभी कोई काम नहीं कर सकती थी |इसलिए राधा के घर एक वक्त का खाना मांगने गई ताकि थोड़ा और चल कर सरकार से मदद मांग सके |लेकिन राधा ने भी मना कर दिया और वह बेचारी चलते-चलते निढाल होकर किसी की गाड़ी के आगे आते आते बची गाड़ी में से एक सभ्य आदमी उतरे उन्होंने उसको उठाया और जो थोड़ी बहुत चोट लगी थी उसके लिए हॉस्पिटल में इलाज कराया और उसको कुछ खाने के लिए पैसे देने लगे लेकिन उसने मना कर दिया बोली नहीं साहब आपने इतनी मदद की वही बहुत है हमारा भी अपना एक घरौंदा होता था लेकिन बाढ़ के कारण बह गया नहीं तो आज हम भी अपने बच्चों के साथ अपने परिवार में आराम से रहते | सड़कों पर दर-दर की ठोकरे ना खाते | वह सरकारी अफसर थे उन्होंने बुढ़िया की हर हाल में मदद की और उनको राहत शिविर तक पहुंचा दिया |और आगे भी उनकी मदद करने की कोशिश जारी रखी | बुढ़िया उनको दुआएं देते नहीं थक रही थी| यह ऐसा मंजर है जहां हर आदमी विवश हो जाता है प्रकृति के आगे अभी तो प्रकृति से इतनी मुश्किल मिल रही हैं अगर हमने अपने व्यवहार को नहीं सुधारा तो प्रकृति हमें जाने कौन सा रूप दिखाएगी|
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