,"चाहे कुछ भी हो जाए डॉक्टर मेरे बहु और बच्चे दोनों को बचा लीजिये, "
जल्दी से डिलीवरी कीजिए ,समय आ गया है," सासू मां और पुलकित दोनों चिंता में भाग रहे थे और पलक अंदर जा चुकी थी थोड़ी देर में डॉक्टर ने आकर बताया कि बिटिया हुई हैं, अभी हम जांच करके आपको दे देंगे, "बच्चे की किलकारी सुनने के लिए सब उत्सुक थे, तभी डॉक्टर ने आकर बताया ,"कि बच्चा कुछ सुन नहीं पा रहा है और रोया भी नहीं है, कुछ टेस्ट करने के बाद ही पता चल पाएगा कि बच्चा नार्मल है या है अबनॉर्मल, "
डिलीवरी अच्छी हो गई
लेकिन बच्चा होने के बाद भी जैसे मातम सा छा गया हो!!!नॉर्मल डिलीवरी होती तो अब तक घर में रौनक होती अब सूना सा पड़ा है घर ,
पलक घर आ गई है ,
बच्चा अभी हॉस्पिटल में ही है, "कैसा मातृत्व का सुख दिया है ??मैं मां भी बन पाई और अभी तक मां का सुख नहीं मिला है ??दूध भी आ रहा है ,दर्द हो रहा है लेकिन अपने बच्चे को नहीं पिला सकते डॉक्टर ने 2 दिन का समय लिया है |
2 दिन में जितने भगवान को याद कर सकती थी उनसे प्रार्थना करती रही, "
2 दिन के बाद बच्चे से मिले तो डॉक्टर ने बताया कि नॉर्मल नहीं है यह सुन और बोल नहीं सकती, पलक की तो जैसे पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई कितने सपने देखे थे, अपने बच्चे को लेकर और पुलकित वह तो मानो जडवत हो गया लेकिन वह तो माँ थी | अपने बच्चे को सीने से लगाते हुए दूध पिलाने लगी|
आंसुओं की धारा निरंतर बह रही थी| उसकी आत्मा तृप्त हो गई| बच्चे को छाती से लगाकर ही लेकिन
सास भी कहने लगी ऐसा नहीं तुमने बेटे को जन्म दिया है एक तो बेटी उपर से गूंगी बहरी, "
दिल चीख उठा पलक का यह कमी उसके बच्चे में क्यों दी भगवान ने ???
उसे ही क्यों चुना ???इस चीज के लिए उसने भी तो 9 महीने में सब कुछ किया जो सब ने बताया , बार बार भगवान से प्रश्न करती लेकिन मां थी तो बच्चे की देखभाल भी कर रही थी, "
अब धीरे-धीरे उसके कानों में कुछ बाते सुनाई देने लगी
अनाथ आश्रम में भेजने की जिद करने लगे कि ,"वहां पर रहेगी तो सीख जाएगी ,अभी तो छोटी है छोड़ना आसान होगा नहीं तो बड़े होकर लड़की जात है बहुत मुश्किल होती है, "
और गूंगी लड़की से कोई शादी नहीं करता अभी तो सोचना है अभी तो दुख थोड़ा होगा लेकिन जब पलक ने सब सुना तो अपने घर में कोहराम मचा दिया, "बोली मैं माँ हूं मैं जानती हूं अपने बच्चे के लिए क्या सही है क्या गलत और अभी यह इतनी छोटी है इसकी शादी की चिंता आप लोगों को करने की जरूरत नहीं जिसने सांसे दी है उसने भी कुछ सोचा होगा, अपने बच्चे को पालूंगी और किसी को मेरा साथ नहीं देना तो मुझे नहीं रहना ऐसे समाज में, "
"अगर भगवान ने मुझे स्पेशल बच्चा दिया है तो भगवान ने मुझे स्पेशल ही चुना होगा, "
माता रूप मे 9 दिन तो तुम बड़े पत्थर की मूर्ति को भी पूजते हो, फिर इसमें तो साँसे है तो वैसे भी इसे कैसे मैं किसी को दे दूँ???????
जैसी भी है यह मेरी बेटी है और मैं इसे भगवान के प्रसाद की तरह समझ कर पालूंगी ,मैं नहीं इसको किसी अनाथ आश्रम में जाने दूंगी ,"
अरे!!लड़का होता तो फिर भी चल जाता कल को
बहुत मुश्किल आएगी लड़की जात है, "सास फिर बोली
पुलकित उदास था लेकिन था वह भी पलक के साथ ही आखिर था तो उसके जिगर का टुकड़ा और उसने बहुत सारी आशाएं लगा रखी थी, "
सासू मां तो बच्चे को हाथ भी नहीं लगाते ऐसे वातावरण में बच्चे को ठीक से प्यार भी नहीं कर पा रही थी|
अपने घर से दूर एक अलग घर लेकर अपने बच्चे को रहने लगे ताकि उसे सही वातावरण मिले |
पलक का तो जैसे दिन और रात उसकी बेटी थी |वह सुबह से लेकर शाम तक लगी रहती |
पुलकित अपने बिजनेस को स्थापित करने में लगा हुआ था |हाँ बिटिया के साथ ज्यादा समय नहीं बीताता था लेकिन प्यार बहुत करता था और सबसे ज्यादा प्यार पलक करती थी उसकी हर बात का ध्यान रखती |धीरे धीरे से सांकेतिक भाषा भी सिखा रही थी |जहां कोई स्कूल में था या कुछ मिलता , सिखाने के लिए साथ लेकर जाती, घंटों क्लासेस में बैठकर स्पीच थेरेपी कराती |बिटिया का नाम
दोनों ने अपने नाम मिलाकर पाखी रखा |
डॉक्टर से बराबर इलाज चलता रहा पलक ने यही सोच कर दूसरे बच्चे को जन्म नहीं दिया कि कहीं वह भी ऐसा ही हो?????और दूसरे बच्चों को जन्म देने पर कहीं पाखी का ध्यान ना रख पाए !!!!
एक दिन एक्सीडेंट में पुलकित का इंतकाल हो गया अब तो पलक पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा एक तो अकेले बच्ची
वह भी स्पेशल लेकिन लोगों की नजरों में तो गूंगी बहरी थी ,"शायद भगवान ने उसे इसलिए चुना कि पाखी उसके जीने का सहारा बने पलक का पूरा ध्यान पाखी पर ही रहने लगा , "!!
मां के प्यार और लगन का ही नतीजा था कि पाखी एक संस्कारी सुंदर सुशील और पढ़ाई में हमेशा अव्वल आने वाले लड़की बनी|
पाखी नेशनल लेवल पर भी प्रथम आती रही बहुत अच्छी जिमनास्टिक थी बिना सुने बिना बोले हुए इतना अच्छे से पढ़ती थी | अब आज पलक की जिंदगी में बहुत बड़ा दिन है ,नेशनल अवार्ड मिल रहा है अब थोड़ा-थोड़ा तो मुंह के इशारों से ही समझ लेती है
बड़ी हो गई है सब चीजें सिखाने में पलक को मुश्किल तो आई लेकिन उसने बहुत ही प्यार और विश्वास से उसे सिखाई | वे दोनो एक दूसरे की जान थी|
अब धीरे-धीरे सब लोग कहने लगे ओलंपियाड में तो इनाम ले लिया लेकिन गूंगी बहू किसी को नहीं चाहिए देखना इसकी कभी शादी नहीं होगी | गूंगी बहू किसी को नहीं चाहिए होती है ,..।।।
समाज कभी जीने नहीं देता बस हमें हमेशा यह देखना होता है कि हमारे लिए क्या अच्छा है? ??
तब भी पलक ने सोचा कि मैं इसको इतना गुणवान बना दूंगी|
कि इसके लिए रिश्ते सामने से आए और हुआ भी कुछ ऐसा ही ओलंपियाड में इनाम मिलने के बाद उसके पास रिश्तो की लाइन लग गई ,पलक को बहुत खुशी है कि वह अपने मां होने का फर्ज पूरा कर पाई|
चाहे दुनिया ने कुछ भी कहा और उसने अपने स्पेशल बच्चे को स्पेशल फील कराया ना कि उसे मुसीबत में छोड़कर भाग गई..।अगर उस समय सब के कहने पर आकर उसे अनाथ आश्रम में डाल दिया होता तो शायद उसकी अपनी जिंदगी कुछ और होती लेकिन वह अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाती |क्योंकि मां तो मां है वह जानती है कि उसके बच्चे के लिए क्या अच्छा है????आज पलक पाखी की शादी कर रही है और उसके दादा दादी भी आशीर्वाद दे रहे हैं!!!
जिन्हें उनके पोते और दूसरे बेटे ने घर से निकाल दिया है जो कि नॉर्मल था|
यह सब पलक की मेहनत का ही फल था कि उसने अपने आप पर विश्वास किया और अपनी जीत सबको दिखाई आज उसकी सब जगह भूरी भूरी प्रशंसा हो रही है|
जिंदगी में हमें कई बार ऐसी मुश्किल आती हैं कि बहुत कठिन रास्ता लगता है लेकिन वह कठिन रास्ता अगर आपको असीम सुख दे तो आपको वही चुनना चाहिए और एक बच्चे के लिए मां से बेहतर निर्णय कोई नहीं ले सकता क्या पलक ने सही किया आपको कहानी कैसी लगी कमेंट जरूर करें और मुझे फॉलो करें
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