मैं दसवीं कक्षा में थी हमारे स्कूल में अनाउंसमेंट हुई कि बैंक के ऊपर एक प्रतियोगिता है |जिसमें आपको अगर पार्टिसिपेट करना है तो अपने नाम दे दे |हमारे गांव देहात में लड़कियां इन चीजों में भाग नहीं लेते थी| ज्यादातर लड़के ही होते थे जो भाग लेते थे इस बार मैंने सोचा मैं भी पार्टिसिपेट करूंगी| यह दसवीं तक की छात्राओं के लिए ही था एक 12th मे दीदी पढ़ती थी उपासना दीदी मैंने उनसे कहा कि मुझे भी इसमें पार्टिसिपेट करना है| बोली ,"हां करो मैंने भी किया था" ज्यादातर लड़कियां तो लेती नहीं लेकिन लेना चाहिए", लेकिन मेने उन्हें बोला, "अगर मैं नहीं जीती तो बहुत बेज्जती होगी दीदी, " वह बोली ,"तुम अपना बेस्ट दो और स्टेज पर जाकर सामने किसी की आंखों में मत देखो अपना कॉन्फिडेंस से बोलो तुम जरुर जीतोगे" लेकिन सभी लड़के भाग ले रहे हैं और मैं अकेली लड़की.....वह बोली यही सोचकर अगर मैं भी नहीं करती तो आज मैं तुम्हें कैसे समझा पाती और हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह सोचना होगा कि वह भी बिंदास होकर स्टेज पर परफॉर्म करें और अगर तुम्हें कोई मदद चाहिए तो मैं तुम्हारी मदद करूंगी ,"लेकिन तुम पार्टिसिपेट करो बस इतना समझाने पर मैंने अपनी स्पीच लिखी थी| दीदी से बातचीत करके उसे बोलने की प्रैक्टिस की और जिस दिन स्कूल में प्रतियोगिता थी सभी टीचर्स ने सुनने के बाद तारीफ की और कहा कि इसी तरह इस लड़की की तरह सबको आगे आना चाहिए|
और मुझे इनाम भी मिला वह मैंने बहुत सालों तक संभाल कर रखा| मैं फर्स्ट तो नहीं सेकंड आई थी लेकिन फर्स्ट आने वाले लड़के ने भी मेरी तारीफ की और मुझे स्टेज फीयर हमेशा के लिए चला गया|
लेकिन पहला स्टेज परफॉर्मेंस होने का डर मेरे मन से निकल गया और मुझ में कॉन्फिडेंस आ गया था |मेरा भाई मेरा इनाम साथ लेकर आया और सभी बधाइयां दे रहे थे| बहुत अच्छा लग रहा था |मैं धन्यवाद देती हूं दीदी को कि उन्होंने मुझ पर विश्वास जगाया|
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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुंदर रचना
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