Vandanaritesh Singh
Vandanaritesh Singh 09 Oct, 2023
दिल में मचलते से जज्बात
मेरे दिल में मचलते से जज्बात रह गए, होठों तक आते-आते बात रह गये, जो अपने हैं उन्हें अपना समझे या गैर? बस इसी समझ और नासमझी में , जीवन में छोटे-मोटे झंझावात रह गए।

Paperwiff

by vandanariteshsingh

09 Oct, 2023

दिनले जज्बात वंदना रितेश सिंह की लेखनी के साथ❤️

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