गुरू की महिमा को करते हैं प्रभु भी अंगीकार
नवाते हैं शीष गुरु को वो भी बारम्बार
गुरू ही है जो लाता है शिष्य के व्यक्तित्व में निखार
करता है सपनों को उनके वो ही तो साकार
करते हैं प्रभु तो मानव में प्राणों का संचार
है शिक्षक ही जो करता है मानव का उद्धार
यकीनन भक्ति भगवान की, कराती है भवसागर से पार
शिक्षक, करता है दूर जीवन से अज्ञान रुपी अंधकार
साकार हों या निराकार होती है ईश्वर की लीला अपरम्पार
ना आंकना शिक्षक को कमतर, करते हैं वो भी चमत्कार
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
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