गुरु की महिमा

गुरू की महिमा अपरम्पार है।

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 478
Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 04 Sep, 2021 | 0 mins read




गुरू की महिमा को करते हैं प्रभु भी अंगीकार

नवाते हैं शीष गुरु को वो भी बारम्बार

गुरू ही है जो लाता है शिष्य के व्यक्तित्व में निखार

करता है सपनों को उनके वो ही तो साकार

करते हैं प्रभु तो मानव में प्राणों का संचार

है शिक्षक ही जो करता है मानव का उद्धार

यकीनन भक्ति भगवान की, कराती है भवसागर से पार

शिक्षक, करता है दूर जीवन से अज्ञान रुपी अंधकार

साकार हों या निराकार होती है ईश्वर की लीला अपरम्पार

ना आंकना शिक्षक को कमतर, करते हैं वो भी चमत्कार


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

0 likes

Support Vandana Bhatnagar

Please login to support the author.

Published By

Vandana Bhatnagar

vandanabhatnagar

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.