मिसेज़ नारंग पर था वैलेंटाइन वीक मनाने का भूत सवार
ना रहे कमी कोई, काट रही थीं पार्लर के चक्कर बार-बार
ना जाने कैसे हो गईं इस बीच वो सर्दी की शिकार
पकड़ना पड़ा बिस्तर क्योंकि तेज़ था उनको बुखार
अब पति उनके, संभाल रहे थे सारा घर -बार
खिदमत में उनकी रहते थे हरदम तैयार
कभी माथे पर पट्टी, कभी अदरक तुलसी की चाय ,
कभी खाना खिला रहे थे करके मनुहार
ख्याल जैसा रख रहे थे वो, झलक रहा था उसमें सच्चा प्यार
रोज़ डे, प्रपोज़ डे वगैरह सब लग रहे थे मिसेज़ नारंग को अब बेकार
पति बोले न सोचना ये कि मारा जायेगा तुम्हारा उपहार
सरप्राइज़ गिफ्ट मिलेगा, बस रहना तुम कल सुबह तैयार
अब मिसेज़ नारंग को था बेसब्री से सुबह का इंतज़ार
अगले दिन सुबह-सुबह सैंपल लेने वाला खड़ा था उनके द्वार
देख उसे बोलीं मिसेज़ नारंग तो ये था सरप्राइज गिफ्ट तुम्हारा
अब निकाल लेगा ये खून मेरा कितना सारा
जितना दोगी उससे ज़्यादा तो पी लोगी तुम मिनटों में खून हमारा
देखो, फुल बाॅडी चैकअप से ही हो सकेगा ढंग से उपचार तुम्हारा
ठीक हो जाओ जल्दी से, बस यही प्रयास है हमारा
कह लूं तुम्हें कुछ भी, पर तुम्हीं से है रौशन संसार हमारा
सुनकर ऐसा अपने पति को रही थीं वो प्यार से निहार
समझ आ गया था उन्हें अपनों की फिक्र और देखभाल में छुपा है सच्चा प्यार
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
#1000कविता
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