रीना को बहुत साल बाद एक विवाह समारोह में वंशिका से मिलने का अवसर मिला। वो वहाँ पूरे मेकअप में थी और गजब ढा रही थी। बातों ही बातों में उसे पता चला कि वंशिका के पति को गुज़रे हुए चार साल हो गये हैं। ये पता चलते ही वो हैरानी से उसका मुँह देखने लगी तो वंशिका बोली मुझे सजी संवरी देखकर इतना हैरान मत हो। मुझे जो दुःख है वो तो किसी भी तरह कम नहीं हो सकता पर मैं वैधव्य को ढोना नहीं चाहती हूं बल्कि अपना बचा जीवन अपने हिसाब से जी रही हूँ ना कि समाज के हिसाब से। रीना उसकी सोच के आगे नतमस्तक थी। वो उससे बोली समाज में बदलाव लाने की कहीं से तो शुरुआत करनी ही पड़ेगी। आखिर विधवा औरत कब तक अपना मन मारती रहेगी।ऐसा कहकर वंशिका उसके हाथों में हाथ डालकर खाने की मेज़ की ओर बढ़ गयी।
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
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Thanks a lot Charu ji
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