चाय

चाय की बात ही निराली है

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Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 21 Feb, 2021 | 1 min read
#1000कविता



चाय हो अदरक की या सादी,होता है नशा इसमें बेशुमार

हर समय संग रहती है ये मेरे,ऐसे जैसे हो पहला प्यार

मीठी-मीठी बातें करने को है आज मेरा मन बेकरार

आ जाओ प्रिय,कुल्हड़ चाय का है तुम्हारे लिए तैयार

रोक सकूं तुम्हें कुछ देर,चाय तो बस बहाना है

सुनाना आज तुम्हें अपने प्यार का फसाना है

पिलाकर चाय ,तुम्हारी नाराज़गी को भी दूर भगाना है

रुठ जाऊं जब कभी मैं,तब तुम्हें भी इसी तरह मनाना है

चाय से है कितना गहरा रिश्ता मेरा, ये बताना चाहती हूं

अंतिम समय में भी गंगाजल की जगह चाय पीना चाहती हूं


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

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Vandana Bhatnagar

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kamlesh Vajpeyi · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत ख़ूब..!! चाय चीज ही ऐसी है..!

  • Vandana Bhatnagar · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks a lot Kamlesh ji🙏

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