देश में मेरे हुए हैं एक से एक शिक्षक महान
है उन गुरूओं पर हम देशवासियों को बहुत अभिमान
है शिक्षक वही जो छुपी प्रतिभा शिष्य की ले पहचान
निखारने में फिर उसे दे वो अपना कीमती योगदान
किताबी शिक्षा ही नहीं,पढ़ायें पाठ नैतिकता का व कर्त्तव्य का भी कराये ज्ञान
हो सकेंगे तैयार फिर नागरिक ज़िम्मेदार,करेंगे जो देश का कल्याण
रहना चाहिए सीखने को आतुर ताउम्र, जहां से भी मिले ज्ञान
देती है एक नन्हीं सी चींटी भी हमें कर्मठता का ज्ञान
मिलता है प्रकृति से हमको परोपकार और उदारता का ज्ञान
दे सकती है शिक्षा हमें एक वस्तु भी होकर बेजान
निभा सकता है भूमिका कोई भी शिक्षक की, ना रहो इससे अनजान
रखें श्रृद्धाभाव उनके लिए करें सदा उनका सम्मान
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
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