दोहरा मापदंड

दोहरा मापदंड गलत है

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Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 23 Feb, 2021 | 1 min read
#1000कविता

मुट्ठी में हो दामाद बेटी के, मां-बाप को अच्छा लगता है

और बेटा बहू की सुन भी ले तो नागवार गुज़रता है

लड़की मायके आए तो कहें प्यार बढ़ता है

ससुराल जाए लड़का तो कहें मान घटता है

निभाए फर्ज़ बहू का बेटी, जी खुश बहुत होता है

फ़र्ज़ दामाद का बेटा निभाए तो दम खुश्क होता है

लड़की घर वालों के लिए लाए गिफ्ट तो दिल बल्लियों उछलता है

और बेटा दवा भी लाकर दे दे ससुरालियों को तो अखरता है

खोलती है जब बेटी राज़ ससुराल के सुनने में मज़ा आता है

बेटा साधारण सी बात भी बता दे ससुरालियों को तो मुंह फूल कर कुप्पा हो जाता है

बेटी मायके वालों को संग अपने घुमा लाए तो उर में आनंद समाता है 

बेटा, ससुरालियों संग घूमने की सोच भी ले तो खून खौल जाता है

कहते हैं मां-बाप नहीं करते कोई भेद लड़के और लड़की में

पर यह दोहरा मापदंड खुलकर सामने नज़र आता है


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

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