शिप्रा के पास उसके सात वर्षीय बेटे नमन के स्कूल से फोन आया। वह फोन पर बात करके तुरंत नमन के कमरे में पहुंची और उसको लताड़ते हुए बोली आज स्कूल में तुम्हारे साथ इतनी बड़ी बात हो गई और तुमने बताना भी ज़रूरी नहीं समझा। मैंने कितनी बार कहा है कि घर से बाहर की सारी बातें मुझसे शेयर किया करो। मां हूं तुम्हारी, हर बात जानने का पूरा हक बनता है मेरा।शिप्रा के चिल्लाने की आवाज़ सुनकर नमन की दादी भी वहां आ गई थीं।
नमन बोला"पर जब पापा दादी को कोई बात बताते हैं तो आप पापा से गुस्सा होकर कहती हो ना कि अपनी मम्मी को सारी बातें बताने की कोई ज़रूरत नहीं होती तो बस यही सोच कर मैंने भी आपको नहीं बताया" नमन बड़ी मासूमियत से बोला।
उसका उत्तर सुनकर शिप्रा सास के सामने पानी-पानी हो गई। वह सोचने लगी कि बच्चे सिखाने पर इतना नहीं सीखते जितना अपने घर में लोगों के व्यवहार से सीख जाते हैं। अब वो सास और नमन से नज़रें चुराने लगी और तेज़ी से उसके कमरे से बाहर आ गई।आज नमन ने उसे अनजाने में ही करारा जवाब देकर बड़ी सीख दे दी थी।
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
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