मां

मां अनमोल होती है

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Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 22 Feb, 2021 | 0 mins read
#1000कविता



गोद में जिसके जन्नत होती है वो मां होती है

लुटाती है जो खज़ाना ममता व प्यार का वो मां होती है

बहलाती, फुसलाती, दुलारती है तो, वो डांटती भी है

डांटकर खुद आंसू बहाती और फिर रूठे को मनाती भी है

बिन कहे बात दिल की हमारी वो जान जाती है

समस्या हमारी चुटकियों में सुलझा चिंतामुक्त कर जाती है

चाहती नहीं कुछ अपने लिए बस सलामती बच्चे की चाहती है

हो जाए उसे कुछ तो दिन रात एक कर जाती है

रखती है उपवास, मांगती है मन्नतें, प्रार्थना मन ही मन दोहराती है

आ जाता है आराम बच्चे को जब वो प्यार का लेप लगाती है

भरती है पेट बच्चे का, खुद भूखी भी सो जाती है

सह लेती है अन्याय खुद पर बच्चे के लिए लड़ जाती है

बच्चों की खातिर अपनी खुशियां भी न्यौछावर कर जाती है

बच्चे की खुशी में खुश और दु:ख में दु:खी हो जाती है

भले ही पीड़ा झेल रही हो पर हाल बढ़िया ही बताती है

है सच ये, मां मरकर भी कहीं नहीं जाती है


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

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