बिन फेरे हम तेरे

मन मिलना बड़ी बात है

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Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 21 Feb, 2021 | 1 min read
#1000कविता

आज भी 'यादों का कारवां'जब तेरे पास ले जाता है

मिलने को तुझसे मन मेरा कितना छटपटाता है

मिला था तुमसे मुझको इतना प्यार और अपनापन

चाहता था दिल,कर दूं तुमपर अपना सबकुछ अर्पण

जोड़ लूं तुमसे नाता सात जन्मों का,करके गठबंधन

पर समाज को कहां मंज़ूर था हमारे प्यार का बंधन

धर्म के ठेकेदारों ने होने ना दिया हमारा मिलन

बिछुड़कर तुमसे फिर ज़ार -ज़ार रोया मेरा मन

ना मिल सके तो क्या,ना टूट सकेगा मन से मन का बंधन

'बिन फेरे हम तेरे' दोहराता यही बार- बार मेरा मन


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

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Vandana Bhatnagar

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