सुदीप का सुनैना के संग रिश्ता बड़ी आनन-फानन में तय हो गया और शादी की डेट भी जल्दी ही फिक्स हो गयी,पर एक नई अड़चन सामने आ गई थी।हुआ यूं कि सुदीप के पिता कोरोनाग्रस्त हो गये उन्हें सांस लेने में दिक्कत आने लगी ,उन्हें तुरंत ही हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। ऐसे में शादी करना मुश्किल जान पड़ रहा था कब क्या हो जाए यही डर सता रहा था लेकिन सुनैना के घर वाले शादी को पोस्टपोन करने को तैयार नहीं थे ।उनकी बात को रखते हुए सुदीप के साथ पांच लोग जाकर फेरे डलवाकर सुनैना को विदा कर लाये थे ।एहतियात बरतते हुए सुनैना को घर में सब से अलग रखा गया। सुदीप भी उससे दूरी बनाकर रहा ताकि वो कोरोना से प्रभावित ना हो जाये क्योंकि उसे अपने पापा की वजह से अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते थे पर वह फोन पर उससे रोमांटिक बातें करता रहता था ।घर वाले भी दिमागी परेशानी के चलते सुनैना को पूरी तवज्जो ना दे पाये।सुनैना को सुदीप और घरवालों से इस तरह के ठंडे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी वह तो सोच रही थी कि उसका भव्य स्वागत होगा और वह सुदीप के साथ घूमेगी फिरेगी और खूब मौज मस्ती भी करेगी। इधर सुदीप के पिताजी की तबियत बिगड़ती जा रही थी । कुछ दिन बाद सुनैना का भाई आकर उसे पग फेरे की रस्म के लिए मायके ले गया। सुदीप भी आश्वस्त हो गया कि नैना अपने घर ठीक ठाक जा रही है ।वह सोचने लगा पापा के ठीक होते ही उसे घर ले आएगा ।काफी दिनों बाद उसके पापा ठीक होकर घर आ गए ।अब वह सुनैना को लेने जाने का प्रोग्राम बना रहा था पर वह उस समय भौंचक्का रह गया जब उसको जाने से पहले ही कोर्ट से तलाक का नोटिस मिला ।इसमें उसपर नामर्द और घरेलू हिंसा का आरोप लगाकर तलाक मांगा गया था और गुजारे भत्ते की भी मांग की गई थी ।उसने तुरंत सुनैना को फोन मिलाया पर उसने यह कहकर फोन रख दिया कि अब केवल कोर्ट में ही बात होगी।सुदीप सोचने लगा कि सुनैना को इस समय नादानी ना दिखाकर समझदारी से काम लेना चाहिए था।बिना सोचे-समझे तलाक का फैसला लेना कहीं भारी ना पड़ जाये।
जब दोनों कोर्ट में मिले तो सुदीप ने अपने ऊपर लगे आरोपों को कोर्ट के सामने बेबुनियाद बताया और अपनी मर्दानगी का प्रमाण पत्र भी संलग्न किया ।सुदीप बोला कोरोना के चलते सोशल डिस्टेंसिंग इतनी भारी पड़ेगी यह तो उसने सोचा भी नहीं था ।कोर्ट ने सुनैना को गलत आरोप लगाने पर फटकार लगाई और सुदीप को कोरोना का टेस्ट कराकर अपना वैवाहिक जीवन शुरू करने की सलाह दी। दोनों ने ही अपनी नादानियों को स्वीकार करते हुए,एक दूसरे से माफी मांगकर सातों जन्म तक साथ निभाने का वादा लिया और खुशी खुशी घर की ओर चल दिये।
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
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