क्योंकि लड़के रोते नहीं

लड़कों के रोने पर परेशानी क्यों

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Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 22 Feb, 2021 | 1 min read
#1000कविता



लड़के होने की कीमत चुकानी पड़ती है

रोना आने पर भी मुस्कुराहट दिखानी पड़ती है

बचपन में चोट लगने पर जब रोना आता था

"लड़कियों की तरह टसुए ना बहा" उससे कहा जाता था

बहन से पिटकर जब वह रोने लगता था

"कैसा मर्द है" सुनकर उसे चुप होना पड़ता था

बहन की विदाई पर दिल ज़ार-ज़ार रोना चाहता था

पर पी लेता था आंसू क्योंकि भाई कमज़ोर दिखना नहीं चाहता था

मां बाप के मरने पर दहाड़े मारकर रोना चाहता था

पर रख लिया दिल पर पत्थर क्योंकि हंसी का पात्र बनना नहीं चाहता था

टूटता था जब कोई सपना, रोकर दिल हल्का करना चाहता था

पर "लड़के रोते नहीं" ये याद उसको दिलवाया जाता था

शायद ऐसा कह कर लड़कों को निडर और मज़बूत बनाया जाता था

हंसना, रोना तो जज़्बात हैं फिर क्यों उनके जज़्बातों को दबाया जाता है

"क्योंकि लड़के रोते नहीं" कह कह कर क्यों उनको पत्थर दिल बनाया जाता है


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

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