कैसे खेलूं होली

पिया सीमा पर तैनात हैं ,कैसे होली खेलूं

Originally published in hi
Reactions 0
388
Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 24 Feb, 2021 | 1 min read
#1000कविता

कैसे खेलूं होली मैं सांवरिया जी के संग

लगाऊं कैसे उनको मैं जी भर कर रंग

चढ़ा है उन पर तो देश प्रेम व सेवा का रंग

फीके हैं जिसके आगे सारे ही रंग

करती है जब सखियां संग पी के अपने हास परिहास

खल जाता है मुझको तब उनसे दूर रहने का एहसास

तड़पती हूं मैं विछोह में आती हैं बीती बातें याद सारी

कैसे कर दिया था सराबोर उन्होंने मुझको पिछली बारी

बच्चों ने भी कर रखी है हुल्लड़ मचाने की पूरी तैयारी

कैसे तोड़ूं दिल बच्चों का, कहकर, ना आएंगे पापा अबकी बारी

निभा रहे हैं वो तो सीमा पर अपनी ज़िम्मेदारी 

सुख के पल न्यौछावर करके, होगी देश सेवा में कुछ तो अपनी भी भागीदारी

निभायें फर्ज़ अच्छे से पड़ें दुश्मन पर वो भारी

होली का क्या है ,खेल लूंगी उम्र पड़ी है सारी


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

0 likes

Published By

Vandana Bhatnagar

vandanabhatnagar

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.