बहन के रूप में मिला है मुझे गहना अनमोल
है अहम मेरे जीवन में उसका रोल
है वही, सामने जिसके देती हूं मैं मन अपना खोल
राज़ भी खूब छुपाए ,ना खोली उसने कभी पोल
बात मन की कहने से पहले ही वो समझ जाती है
समस्या मेरी चुटकियों में सुलझा जाती है
जब भी हो ज़रूरत, पास मेरे नज़र आती है
होती हूं गर निराश मैं, आशा का दीप जलाती है
चैन नहीं आता जब तक ना हो उससे बात
मिलते हैं जब तो निकल जाती है बातों में ही आधी रात
संग उसके बचपन में गोता लगा आती हूं
फिर बचकानी बातों पर संग उसके खूब खिलखिलाती हूं
ना लगे हम बहनों के प्यार को कभी नज़र
रहे खुश वो सदा, लग जाये उसे मेरी भी उमर
आज उसके जन्मदिन की है शुभ घड़ी आयी
देती हूं उसे इस शुभ अवसर पर बारम्बार बधाई
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
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