रश्मि, मैं तुमसे ये नहीं कह रहा हूं कि पति होने के नाते तुम पर सिर्फ मेरा अधिकार है तुम्हारे बेटे का नहीं । मैं तो तुम्हें ये समझाना चाहता हूं कि जब अपने बच्चे के लिए उसे आया की ज़रूरत पड़ी तब उसे तुम्हारी याद आयी वरना तो सालों से उसे कोई मतलब नहीं है हमसे।
आपने ये कैसे समझ लिया कि मैं उसके साथ चली जाऊंगी। मैं उन मांओं में से नहीं हूं जो बेटों से दुत्कारी भी जायें और उनपर अपनी ममता एवं प्यार भी लुटाती रहें। मैं आया नहीं आपके दिल की मल्लिका बनकर ही रहूंगी।
रश्मि का जवाब सुनकर पतिदेव को चैन आ गया और वो उसे प्यार से निहारने लगे।
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
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