घर

घर प्यार की नींव पर टिका होता है

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Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 20 Feb, 2021 | 1 min read
#1000कविता

घर कैसा भी हो छोटा या बड़ा, होता है घर

पूछो उनसे कीमत घर की,जो रहते हैं बेघर

ईंट,पत्थर, सीमेंट से बना सकते हैं हम मकां नाकि घर

मकां तब्दील होता है घर में, सिर्फ स्त्री के ही दम पर

सजा लें हम कितना भी बेशकीमती चीज़ों से घर

महकता,चहकता है घरवालों से ही हर घर

रह आयें हम चाहे कहीं भी कितने ही आराम से

सुकून मिलता है आकर बस अपने ही घर

प्यार,मौहब्बत के रंग से रंगा होता है जो घर

रखा जाता है जहां ख्याल सबका,पाते हैं बड़े लोग आदर

खुशियां आने को बेताब रहती हैं उस दर 

स्वर्ग से भी सुंदर, बेमिसाल होता है वो घर



मौलिक रचना

वन्दना भटनागर


मुज़फ्फरनगर

#1000कविता

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Vandana Bhatnagar

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