ज़िन्दगी कोई खेल नहीं, है एक जंग जिससे जूझना पड़ता है
जीतना इस जंग को कभी आसां,कभी दुष्कर जान पड़ता है
ज़िन्दगी की राह में रोड़े भी नज़र आते हैं बहुत
जतन से रोड़ों को हटाकर,रास्ता साफ करना पड़ता है
मुश्किलों से घबराकर लगा देते हैं ज़िंदगी ही कुछ लोग दांव पर
मौत कोई हल नहीं, समझदारी से समस्या का हल निकालना पड़ता है
बिछुड़ता है जब कोई अपना ज़िन्दगी में,तब संभलना भारी जान पड़ता है
"मृत्यु शाश्वत सत्य है"करके ये सत्य स्वीकार आगे बढ़ना ही पड़ता है
लेता है प्रभु भी ज़िंदगी में हमारी परीक्षा बार-बार
परीक्षा पास करने को धैर्य और अक्ल से काम लेना पड़ता है
कटे ज़िंदगी चैन से और मिले अंत में हमें मोक्ष
इसके लिए कर्म अच्छे और प्रभु का नाम जपना पड़ता है
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
#1000कविता
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Inspiring one.
Thanks a lot Sonia ji
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