अनकहे रिश्ते

कुछ रिश्ते खून के रिश्तों पर भी भारी पड़ते हैं

Originally published in hi
Reactions 0
399
Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 08 Jan, 2021 | 1 min read

अरे बेटा सुन तो सही मेरी बात"

"मां आकर सुनूंगा आज मैं वैसे ही लेट हो गया हूं ऐसा कहकर सुमित अपना बैग उठाकर और मोबाइल पर बातें करता हुआ गेट से बाहर निकल गया ।"

सुनीता ने देखा सुमित जल्दी में गेट भी खुला ही छोड़ गया वह गेट बंद करने बाहर आईंं तो लाॅन में माली 'कमल' काम कर रहा था। वह सुनीता जी को देख कर बोला बीवी जी आपकी तबीयत ठीक नहीं है क्या ?आपकी आंखें चढ़ी चढ़ी और कितनी लाल हो रही हैं।

हां कल रात से तेज़ बुखार है उसी की दवा मंगाने के लिए सुमित को कह रही थी पर वह बहुत जल्दी में था। सुबह उठकर उसका नाश्ता वगैरह सब बना दिया था। सब काम उसे करा कराया मिला तो उसने ध्यान भी नहीं दिया कि मेरी तबियत खराब है। कोई नहीं अब रात को लेता आएगा दवा। उसे अभी अपनी तबियत के बारे में मैसेज कर दूंगी।

अरे बीवीजी कैसी बातें करती हो रात तक तो आपकी तबियत बिगड़ जाएगी। अगर तेज़ बुखार की वजह से चक्कर आकर गिर पड़ी तो किसी को पता भी नहीं चलेगा। मैं अभी आपकी दवा लेकर आता हूं और लौटते हुए अपनी मां को भी साथ ले आऊंगा वह दिन भर आप की देखभाल कर लेंगी।

नहीं नहीं इतनी भी तबियत खराब नहीं है मेरी कि अपनी मां को परेशान करे।बस पैसे देती हूं तुझे दवा ला दे मेरी।

कमल पैसे लेकर दवा लेने चला गया ।सुनीता सोचने लगी एक साल पहले जब उसकी पैर की हड्डी टूट गई थी तो कमल की मां ने उसका बहुत ध्यान रखा था एक मां की तरह डांटती और हिदायत भी देती रहती थी।सुनीता यही सोचते हुए अपने लिए तुलसी अदरक की चाय बनाने रसोई में चली गई।

थोड़ी देर बाद ही दरवाज़े पर दस्तक हुई तो कमल अपनी मां के साथ खड़ा था। वह बोला बीवीजी मैंने मां को चलने के लिए नहीं कहा था बस आपकी तबियत के बारे में बताया ही था और यह ज़िद करके मेरे साथ चली आई।

सुनीता भी शायद मन ही मन चाह तो यही रही थी। वह कमल से बोली कोई बात नहीं अब मुझे भी कोई चिंता नहीं रहेगी। कमल की मां ने झट से सुनीता को दवा दी और माथे पर ठंडी पट्टी रख कर उसका सिर भी सहलाने लगी सुनीता अनकहे रिश्तों से प्यार पाकर अभिभूत थी। रात को सुमित के आने पर ही कमल की मां वापस अपने घर गई। उसके जाते ही सुमित, सुनीता पर गुस्सा होने लगा कि आपने भी कैसे-कैसे लोगों को अपने मुंह लगा रखा है, किसी दिन यह तुम्हें मार कर घर को लूट कर भाग जाएंगे। सुनीता को कमल की मां के बारे में कटु वचन सुनना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। वह सुमित से बोली तूने आकर यह पूछना ज़रूरी नहीं समझा कि वह देर रात तक यहां क्यों थी ‌बस आकर उल्टा सीधा बोलना शुरु कर दिया आज इन दोनों की वजह से ही मैं तुझे ठीक दिखाई दे रही हूं।तू मेरे साथ रहते हुए भी मेरी खराब तबियत के बारे में भांप ना सका जबकि कमल मेरी सूरत देखते ही मेरी तबियत के बारे में जान गया। वही दवा भी लेकर आया और मेरी देखरेख को अपनी मां को भी साथ ले आया। मैं सुबह तुझसे अपनी तबियत के बारे में ही बताना चाह रही थी पर तू तो अनसुनी करके चला गया था ।सुमित, सुनीता की बात सुनकर निरुतर हो गया था। इतना बोलने पर सुनीता के सिर में दर्द होने लगा था और फिर वह आंख मीचकर लेट गई और सोचने लगी कि कमल और उसकी मां से उसका कोई

रिश्ता नहीं है पर फिर भी ये अनकहे रिश्ते सगे रिश्तों पर भारी पड़ने लगे हैं। यही सोचते-सोचते फिर वह नींद के आगोश में समा गई।

0 likes

Published By

Vandana Bhatnagar

vandanabhatnagar

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Vridhi Chug · 3 years ago last edited 3 years ago

    सच्ची बात है ये। बोहोत खूब

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    very true

  • Vandana Bhatnagar · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks a lot Vridhi ji

  • Vandana Bhatnagar · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks a lot Charu ji

Please Login or Create a free account to comment.