परी मां

मां को पाने का एहसास

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Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 09 Apr, 2022 | 1 min read




शिशिर की मां बचपन में ही गुज़र गई थीं। वो जब भी अपने पिता से अपनी मां के बारे में पूछता तो उसके पिता उसे यही कहकर बहलाते थे कि उसकी मां परी बनकर आकाश में रहती है। शिशिर के मन में यही धारणा कायम हो गई थी।


 वह जब छ: साल का हुआ तो उसके पापा ने दूसरी शादी कर ली थी। जिसने अपनी मां को कल्पना में परी के रूप में संजो रखा था वह अपनी नई मां के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहा था।वो उसके जितना निकट आने की कोशिश करतीं वह उनसे उतना ही दूर भाग जाता था। उसके पापा उसे बहुत समझाते पर वह कोई बात सुनने को राज़ी ही नहीं होता था ।इसी तरह कई महीने गुजर गए ।


एक दिन शिशिर खुले आसमान के नीचे बैठा अपनी मां को याद कर रहा था, तभी उसे ऐसा लगा जैसे कोई परी उसकी ओर आ रही है और वह भी उसकी ओर खिंचा चला जा रहा है ।उसने सोचा कि भगवान ने आज उसकी सुन ही ली जो उसकी मां को उसके पास भेज दिया ।परी से मिलकर शिशिर बहुत खुश हुआ और उसने अपने मन की सारी बातें भी उसे बता दीं। शिशिर की बात सुनकर परी बोली उससे दूर जाकर उसका भी मन नहीं लगा इसलिए वो रूप बदलकर उसके पास नई मां बनकर आ गई, पर तू तो मुझसे नाराज़ ही रहता है। मैं तुझे जितना प्यार करने की कोशिश करती हूं तू मुझसे उतना ही दूर भाग जाता है, इसलिए आज परी के रूप में आकर तुझे असलियत बतानी पड़ी ताकि तू मुझे समझ सके। शिशिर ये जानकर खुश हो गया और वो परी से कुछ कहने ही वाला था पर अब वहां उसे कोई परी नहीं दिखाई दी। शिशिर अब वहां से उठकर तेज़ी से अपने घर की ओर भागा । दरवाज़े पर ही उसकी मां उसका इंतजार कर रही थीं। वह अपनी मां से कसकर लिपट गया क्योंकि अब उसे अपनी परी मां जो मिल गई थी। शिशिर ने जब अपनी मां को मां कहकर पुकारा तो उसकी मां की आंखों में खुशी के आंसू आ गये क्योंकि वह खुद कभी मां नहीं बन सकती थी और जो उसे बेटे के रूप में मिला था वह उस से खफा ही रहता था। शिशिर के बदले व्यवहार ने उसके पिता के कलेजे को भी ठंडक प्रदान करी।अब सही मायनों में घर में खुशियां लौट आई थीं।


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

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