आज सोनम के बेटे अरिहंत का जन्मदिन था।शहर के नामी गिरामी लोग आये हुए थे। अरिहंत ने केवल अपने इकलौते दोस्त महेश को बुलाया था जोकि बहुत ही साधारण से कपड़े पहनकर आया था।उसके आते ही अरिहंत की बांछें खिल गयी थीं।वो उससे बहुत घुलमिलकर बातें कर रहा था, और अपने आप ही उसे सब चीज़ें परोस रहा था। पार्टी खत्म होने के बाद जब सब चले गये तो सबके गिफ्ट खोले गये।सभी एक से बढ़कर एक गिफ्ट लाये थे। जब महेश का गिफ्ट खोला गया तो उसमें से एक साधारण सा बाॅल पैन निकला जिसे देखकर सोनम, अरिहंत से बोली तुमने कैसा दोस्त बना रखा है जिसके पास ना पहनने को ढंग के कपड़े हैं ना देने को महंगा गिफ्ट।एक साधारण सा बाॅल पैन लेकर चला आया, शर्म नहीं आयी उसे। कम से कम अपनी हैसियत के हिसाब से तो दोस्त बनाओ। तुम्हारी कक्षा में इतने अमीरों के बच्चे पढ़ते हैं उनसे दोस्ती बढ़ाओ और इससे दूरी बनाओ। अपनी मम्मी की बात सुनकर अरिहंत बोला अगर पैसों की दृष्टि से बात करुं तो सच में महेश हमारी हैसियत के आगे कहीं नहीं टिकता है, कहां पापा इतने बड़े बिज़नैसमैन और कहां महेश के पापा सब़्जी बेचने वाले, पर अगर मै प्रतिभा की दृष्टि से बात करुं तो मैं उसके आगे कहीं नहीं ठहरता और उसे अपनी प्रतिभा पर कोई घमंड भी नहीं है, बल्कि जब मुझे कुछ समझ में नहीं आता है तो वो मेरी सहायता करता है,मेरा मज़ाक नहीं उड़ाता।अपनी सकारात्मक बातों से मेरे अंदर एक नया जोश पैदा कर देता है। वो हमारी क्लास का सबसे होशियार बच्चा है। मेरे हिसाब से किसी की हैसियत का आधार उसकी योग्यता है नाकि पैसा। जिन अमीरों के बच्चों की आप बात कर रही हो वो एकदम घमंडी,शेखीखोर और गलत आदतों के शिकार हैं मैं उनसे दोस्ती नहीं कर सकता।
सोनम, अरिहंत की बात सुनकर अवाक थी।
सोनम, जो पैसे के आगे कभी किसी की काबिलियत को तवज्जो ही नहीं देती थी,उसे आज अपने बेटे से अमूल्य सीख मिली और वो अब अपने अंदर बदलाव लाने की सोचने लगी।
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice write up
Thanks a lot Deepali ji
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