रमिया प्रिंसीपल मैडम के यहां काम करती थी और आज उसे उनके घर पहुंचने में देर हो गयी थी।मैडम स्कूल जा चुकी थीं उनकी बिटिया प्रांजल ने ही दरवाज़ा खोला और फिर वो किसी से फोन पर बातें करने लगी।पहले तो दो चार बातें उसने हिंदी में ही करीं पर फिर रमिया की उपस्थिति की वजह से शायद वो इंग्लिश में बातें करने लगी।रमिया के कान उसकी बातों की तरफ ही लगे थे।काम करके वो जल्दी से बाहर निकल गयी। थोड़ी ही देर बाद प्रिंसीपल मैडम भी स्कूल से लौट आईं और अपनी तबियत ठीक ना बताकर प्रांजल को अपने साथ ही उलझाये रखा। फिर वो अपनी बेटी के साथ टी.वी. पर ख़बरें सुनने लगीं।खबरों में एक सैक्स रैकेट का खुलासा हो रहा था और रैकेट चलाने वाला फरार बताया जा रहा था पर उसकी फोटो दिखाई जा रही थी। जिसको देखकर प्रांजल अवाक रह गयी। ये तो वही था जिसके साथ आज उसका घर से भागने का प्रोग्राम था।अगर उसकी मम्मी तबियत खराब होने की वजह से स्कूल से लौटकर ना आतीं तो वो अब तक चली भी जाती।वो अनहोनी की सोच सोचकर फूट फूटकर रोने लगी और अपनी मम्मी को अपने दिल की सारी बात बता दी।उसकी मम्मी ने उसे ढाढस बंधाया और बोली रमिया की वजह से ही तू बाल बाल बच गयी।उसी ने मुझे फोन करके तेरे गलत इरादे के बारे में बताया था।रमिया आंटी को कैसे पता चला मैं तो उनके सामने इंग्लिश में बात कर रही थी।तभी डोरबेल बजी तो प्रांजल किवाड़ खोलने चली गई।रमिया को देखकर उसने थैंक्यू की झड़ी लगा दी।वो रमिया से बोली आपको इंग्लिश समझ में आती है,आपको देखकर लगता तो नहीं। रमिया दरवाज़ा बंद करके अंदर आ गई और बोली इंग्लिश पर तो मेरा पूरा कमांड है। मैं एक होनहार छात्रा थी पर अपनी एक नादानी की वजह से अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली । रमिया बोली कभी उसपर भी जवानी का भूत सवार था।वो भी नाज़ुक उम्र में एक सजीले नौजवान की चिकनी चुपड़ी बातों में आ गई थी।तब उसके सिवा और कुछ सूझता ही नहीं था। मेरे घरवालों ने मुझे बहुत समझाया कि वो लड़का मेरे लायक नहीं है और अभी कैरियर पर ध्यान देने की ज़रूरत है पर उस समय मुझे उनकी बातें बुरी लगती थीं और मैं बात बनते ना देखकर मौका मिलते ही घर से अपने प्रेमी के साथ भाग गयी।दो चार दिन तो बहुत मज़े में गुज़रे पर फिर उसका असली रूप सामने आ गया।उसे मुझसे कोई प्यार व्यार नहीं था ।वो तो बस उसका शारीरिक शोषण करता रहा और जब मन भर गया तो किसी और को बेच दिया। ना जाने कितनी बार उसका सौदा हुआ।आखिरी बार उसका एक बुड्ढ़े से सौदा हुआ जो तीन चार महीने बाद ही मर गया ।उसके बाद पेट पालने के लिए घरों में काम करने लगी। कहां तो वो अपने घर में नाज़ों से पल रही थी, कहां नादानी की वजह से नारकीय जीवन जीना पड़ा।ना सच्चा प्रेमी ही मिला,ना घरवालों का साथ और करियर चौपट हुआ सो अलग।आज जब तुम्हें घर से भागने की बात करते सुना तो ठान लिया था कि अब किसी और की ज़िंदगी बर्बाद नहीं होने देगी। यहां से निकलते ही मैडम को सारी बात बता दी थी और खुद भी काॅलोनी में रुककर नज़र जमाये बैठी थी,जब मैडम आ गईं तब सांस में सांस आयी।रमिया बोली काश ऐसा होता कि मैं अतीत में जाकर अपनी गलती को सुधार पाती तो आज मेरी दुनिया कुछ और ही होती।मैं भी चैन की ज़िंदगी गुज़ार रही होती।रमिया की कहानी सुनकर प्रांजल के रोंगटे खड़े हो गये ।अब उसने अपने करियर पर ध्यान देने और फ़िज़ूल की बातों से दूरी बनाने की ठान ली थी।
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
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