रहे बुलंद सदैव तिरंगा मेरे वतन का
है प्रतिफल ये अनगिनत लोगों के जतन का
डालेगा जो भी कुदृष्टि, सोचेगा इसके पतन का
इंतज़ाम करना होगा उसे फिर अपने कफन का
अपने देश का तिरंगा ,है हर भारतीय की पहचान
मज़हब भले ही हों अलग पर तिरंगे में बसती है सबकी जान
इसकी रक्षा की खातिर कर देंगे न्यौछावर हम अपने प्राण
बनी रहे तिरंगे की शान है यही बस अरमान
त्याग, बलिदान, शांति, खुशहाली और एकता का प्रतीक है तिरंगा अपना
फहराये पूरे विश्व में तिरंगा, देखती हूं मैं खुली आंखों से ये सपना
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
#1000कविता
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