मानव से हो परेशान, पेडों ने बुलायी सभा आपात
हरेक फिक्रमंद था देखकर मौजूदा हालात
बरगद बोला देता नहीं मानव हमको तवज्जो खास
पर रखता है हमसे बड़ी आस
पीपल ने उसकी हां में हां मिलाई
बोला, आॅक्सीजन की ज़रूरत पड़ी तो ही उसे मेरी याद आयी
नीम बोला ,मेरे पत्ते,टहनी,निंबोली तो तोड़ ले जाते हैं
पर वंश बढ़ाने को मेरा,कत्तई साथ ना निभाते है
अमरुद के पेड़ ने भी अपना दुखड़ा सुनाया
बोला ,जब सड़ने लगे फल मेरे तो मुझे काट गिराया
पेड़ शीशम का बोला,सुना है मैंने बुक्सवाहा जंगल काटने की हो रही तैयारी
उसके नीचे हीरों की खान से हीरे मिलने की है उम्मीद भारी
पेड़ जामुन का बोला,लगता है मानव की मति गयी है मारी
आया नहीं समझ उसे अब भी, जबकि आॅक्सीजन की हो रही मारामारी
देते हैं हम तो मुफ्त में आॅक्सीजन इतनी सारी
हम से दुश्मनी उसे पड़ेगी बहुत भारी
टीक बोला, वैसे तो दिखाने को ये पर्यावरण दिवस भी मनाते हैं
छोटा सा एक पौधा रोपकर दर्जनों लोग फोटो खिंचवाते हैं
वो पौधा कभी अखबार की सुर्खियों में आ जाता है
कभी सोशल मीडिया पर धूम मचाता है
बाद में उसका क्या हुआ कोई हाल नहीं जानता है
पता नहीं मानव क्यों दिखावे की ज़िंदगी गुज़ारता है
डर है मुझे इनकी संगत में बाल बच्चे हमारे बिगड़ ना जायें
मानव की तरह कहीं वो स्वार्थी ना हो जायें
पेड़ आम का बोला, एक वायरस ने तोड़ दिया मानव का गरूर
अब तो मिला होगा सबक उसे ज़रुर
रखना चाहिए मानव को हमारा बच्चों की तरह ख्याल
होगी ज़िन्दगी तभी सभी की खुशहाल
आम की बात से सब इत्तेफाक रखने लगे
मानव को दे सद्बुद्धि प्रभु,सब यही प्रार्थना करने लगे
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👌👌👌👌
Thanks a lot ❤️🌹
Please Login or Create a free account to comment.