हमारी धरती

धरती मां का ध्यान रखना हमारा फ़र्ज़ है

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Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 22 Apr, 2022 | 0 mins read




हमारी धरती थी कितनी प्यारी

सुंदरता इसकी उजाड़ दी हमने ही सारी

रोती होगी देख ये अपनी लाचारी

सोचती होगी मानव है कितना मतलबी और दुराचारी

जिसकी गोद में प्यार इसने है पाया

उसी का सीना इसने छलनी कर दिखाया

आने वाली पीढ़ी बहुत पछतायेगी

आॅक्सीजन,जल,अन्न,के लिये वो छटपटायेगी

अभी भी वक्त है संभल जाओ

धरती पर थोड़ा रहम खाओ

जो ज़ख्म दिये हैं उनपर थोड़ा मरहम लगाओ

मुस्कुराने दो उसे संग उसके तुम भी मुस्कुराओ

माना,कर्ज़ धरती का मानव कभी चुका नहीं सकता है

निभाकर फर्ज़, धरती को प्रदूषण मुक्त,हराभरा तो बना सकता है


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

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Vandana Bhatnagar

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