रिश्तों की एहमियत

रिश्ते ताउम्र वही चलते हैं जहां प्यार हो

Originally published in hi
Reactions 0
361
Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 21 Feb, 2021 | 0 mins read
#1000कविता

सदा से रिश्तों की एहमियत समझती आई

दूसरों की फिक्र में हमेशा घुलती आयी

उधड़ता था जब कोई रिश्ता करती थी मज़बूत सिलाई

पिये घूंट कड़वे ,चुप रहने में ही समझी भलाई

ईर्ष्या, द्वेष और दखलांदाज़ी से कोसों दूर थी भाई

हैं शुभचिंतक बहुत मेरे, यह सोच फिरती थी इतराई

जब खुली पोल उनकी तो मैं संभल नहीं पाई

ऐसा कहकर दास्तां अपनी, सखी ने मुझे सुनाई

मैं बोली उससे,नये ज़माने की यही है रीति

करते हैं अधिकतर दिखावा,होती नहीं किसी से प्रीति

निभाते हैं जो दिल से रिश्ते,रहते हैं वो ही परेशान

अपने विवेक से करो दिखावटी लोगों की पहचान

आईना दिखाकर उन्हें, बचा लो उनसे अपनी जान

वरना ताउम्र उठाते रहोगे यूं ही नुकसान

रहो मस्त और व्यस्त अपने में ये बात भी उसे समझाई

जंच गई बात उसको, फिर वो खिलखिलाती नज़र आई


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

#1000कविता

0 likes

Published By

Vandana Bhatnagar

vandanabhatnagar

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.