बेटा, तुम घर पर अपने बेटे के जन्मदिन मनाने में लगे हो और अस्पताल में पड़ी तुम्हारी मां तुम्हें याद करके तड़प रही है। तुम ही तो उसके दिल के सबसे करीब हो,तुमसे ऐसे व्यवहार की आशा नहीं थी विमल जी ने सारांश को फोन पर थोड़ा डांटकर कहा।
ये सच है कि मैं मां के दिल के करीब हूं पर मेरा बेटा मेरे दिल के करीब है। मैं उसका दिल तोड़कर अभी नहीं आ सकता। हां जन्मदिन खत्म होते ही ज़रुर आऊंगा।
सारांश की बात सुनकर विमल जी का दिल टूट गया,अब उनमें अपनी पत्नी का सामना करने की हिम्मत भी नहीं बची थी।
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
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