अरे कितना मना किया था मां से कि आपकी तबियत ठीक नहीं है लंचबॉक्स मत रखना, मैं कैंटीन में खा लूंगा पर फिर भी मेरी पसंदीदा सब्ज़ी के साथ लंच बॉक्स रख ही दिया। उसका इतना ख्याल रखने पर मृणाल के दिल में अपनी मां के लिए प्यार उमड़ आया। वह सोचने लगा कि लोग कहते हैं कि वो मेरी सौतेली मां है पर उसे कभी सौतेलापन महसूस ही नहीं हुआ । वो तो उसके लिये पापा से भी लड़ जाती हैं। सच में मां, मां होती है सौतेली या सगी नहीं , ऐसा सोचते हुए वह लंच करने लगा।
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
भावपूर्ण..!
Thanks a lot 🙏
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