कछु देना पेला गुरु पुर्णिमा हती। कोल जनन ने अपने गुरुअन खा याद करो हुईए उनके लाने बहुत कछु लिखो पढ़ो भी हुईए। पर का कोनऊ ने दिखावे से परे अपने सच्चे मन से गुरु खा याद करो का.? या अपने गुरु खा फ़ोन लगा के उनखा धन्यवाद दओ का.?
हम आज दिखावे की दुनियां में जिअत है। मैंने देखो उदना सबन ने सोशल साइट्स, फ़ेसबूक, व्हाट्सएप स्टेटस पे गुरु के लाने अच्छे अच्छे विचार लेखें पर सब देखाबे के लाने। जिन गुरु ने हमें ई काबिल बनाओ के हम पढ़ लिख सकें, हम कितनई होशियार और पइसा वाले काये न हो पर आज जी मुकाम पे हम है उपे सिर्फ और सिर्फ गुरु के कारण ही है। बिना उनकी मदद के हम ऐते नाइ पहुँच सकत ते। पर ई मुकाम को श्रेय हम में से बहुतई कम लोग अपने गुरु खा देत है। साल में एक देना ही सही पर फ़ेसबूक, व्हाट्सएप पे स्टेटस न लगा के अपने गुरु खा दिल से शुक्रिया बोलों उनसे मिलबे जाओ, अगर मिलबो सम्भव न हो तो उनखा फ़ोन करो, उनखा धन्यवाद करो। तबई गुरु खा सच्ची गुरुदक्षिणा मिल सकत है।
कछु जने अपने माता पिता खा गुरु को स्थान देत। जा बात ठीक है पर एते जो भी समझबो जरूरी है कि माता पिता को अपनो एक अलग स्थान और महत्व है और गुरु को अलग। जे बात सही है माता पिता हमे व्यवहारिक ज्ञान देत है पर उ व्यवहारिक ज्ञान खा संसार मे कैसो उपयोग करने जो हमे गुरु ही बताउत है। हम आज जो कछु भी है जी मुकाम पे है सब गुरु से ही है। सो गुरु पूर्णिमा जैसे अवसर पे दिखाबे के बजाय सच्चे अर्थन में गुरु को स्मरण करो तब गुरु खा दिल से खुशी हुईए।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.