Shakeb
Shakeb 16 Aug, 2019 | 1 min read
Ek tarfaa.!

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Shakeb
Shakeb 15 Aug, 2019 | 1 min read

Still Trying.

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Manu jain
Manu jain 11 Aug, 2019 | 1 min read
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Shakeb
Shakeb 10 Aug, 2019 | 1 min read

All because of me!

All because of me!

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Shakeb
Shakeb 10 Aug, 2019 | 1 min read

Have patience in finding your strength.

Have patience in finding your strength.

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 10 Aug, 2019 | 1 min read

परसाई

हरिशंकर परसाई आज हरिशंकर परसाई जी की पुण्यतिथि पर उनको सादर नमन! हिंदी व्यंग्य की दुनिया में जब भी घुसा जायेगा, परसाई ही परसाई मिलेंगे। मैंने उनकी पहली रचना 'टेलीफोन' पढ़ी थी, जिसके बाद खुद मुझे व्यंग में काफी रूचि बढ़ गयी थी। उसके बाद मैंने उनके द्वारा लिखे गए कई व्यंग पढ़े। आज के साहित्य में वैसा व्यंग मिलना दूभर है, परसाई जी के व्यंग में खास बात ये थी कि वो तमाचा जिसे मारते थे, ताली भी वही बजाता था, बाद में पता चलता कि अरे! मेरी ही खिल्ली उड़ गई। उनके व्यंग्यात्मक निबंधों में सामाजिक बुराइयों पर कटाक्ष देखने को सहज ही मिल जाता है। परसाई जी हिंदी साहित्य जगत में व्यंग के लिए एक अमिट छाप हैं, उनके बिना व्यंग अधूरा है।

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Shakeb
Shakeb 10 Aug, 2019 | 1 min read

Do not bargain in Love.

Do not bargain in Love.

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