स्त्री क्या चाहती है?
अगर कोई स्त्री तुम्हें अपने दुख में साँझा करती है तो वो तुमसे उन दुखों के हलों की इच्छा नहीं रखती…वो न तो ये चाहती है कि तुम उसके खिलाफ़ हुए अन्यायों के लिए गुस्से में युद्ध करने निकल जाओ और न वो ये चाहती है की तुम उसे हाथ पकड़ कर ले जाओ सफ़ेद घोड़े पर…आज की स्त्री तुमसे ऐसी कोई चाहत नहीं रखती…वो आज ना सही कल अपने दुखों से झूँझ लेगी… स्त्री तो केवल एक कंधा चाहती है जहाँ वो सर रखले जब उससे खुद की परेशानियों का बोझ न उठे…वो चाहती है ऐसा साथी जो ज्यादा कुछ न कर सके तो बस उसे जी भरके रोने की इजाज़त देदे…देदे प्यार की थपकी सर पे…सुनले सारे उमड़ते भाव…और आखिर में थोड़ी सी हिम्मत देदे माथे पर चुम्बन के रूप में… क्यूँकि स्त्रियों के आँसू सलह से ज्यादा प्रेम चाहते है…वो प्रेम जो उन्हें अपने घर, अपने लोगों और खुद से खुद को कभी नहीं मिला… स्त्रियां सच मुच केवल प्रेम की दो बातें चाहती है जो बन जाएँ मरहम उन सारे घाव की जो उन्हें मिले उनके अपनों से… स्त्रियां केवल ठीक से सुन ली जाएँ तो वह तुमसे कभी कुछ नहीं चाहेंगी… Paakhi
लड़की की कहानी
दहेज की प्रथा ने लड़की के जीवन को खा गया
Unmasked
Masks are new norm but at times Unmasked is more important.
आधुनिक जगत के श्रेष्ठ साहित्यकार-हीरो वाधवानी
●श्रेष्ठ साहित्यकार का गुण व जीवन●
रचनात्मकता आपबीती की मोहताज नहीं
आपबीती से पहले जगबीती लिखता है |